यात्रियों को जल पिलाने की करनी चाहिए व्यवस्था
लखनऊ निवासी पंडित राजेन्द्र तिवारी ने बताया है कि हमारे ऋषियों ने यह व्यवस्था दी है कि वैशाख माह में जल दान करने से बहुत पुण्य मिलता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। वैशाख माह में प्याऊ और कुओं का निर्माण अत्यन्त शुभ माना जाता है। यात्रियों को जल पिलाने की व्यवस्था करना तथा आवासीय क्षेत्र में कुओं का निर्माण करना अति फलदायक माना गया है। स्कंदपुराण में कहा गया है कि इस मास की तुलना में कोई अन्य माह नहीं है। जिस भांति सत्य युग के समान कोई युग नहीं, वेदों के समान कोई शास्त्र नहीं, गंगा के समान कोई तीर्थ नहीं, उसी भांति वैशाख मास के समान कोई माह नहीं है।
यह है वैशाख मास की कथा
एक बार ऋषि अम्बरीष दीर्घ तप के बाद गंगा तीर्थ की ओर जा रहे थे। मार्ग में उन्हें देवर्षि नारद जी के दर्शन हुए। उचित आदर देते हुए अम्बरीष ने देवर्षि से प्रश्न किया- मैं बहुत दिनों से इस उलझन में हूं कि ईश्वर ने प्रत्येक वस्तु में किसी श्रेष्ठ कोटि की रचना की है। मासों में कौन-सा मास सर्वश्रेष्ठ है। इस पर देवर्षि ने कहा- जब समय विभाजन हो रहा था, उस समय ब्रह्मा जी ने वैशाख मास को अत्यंत पवित्र सिद्ध किया है। जिस भांति माता अपने बच्चों को अभीष्ट वस्तु प्रदान करती है। उसी भांति वैशाख मास भी मनोकामना को सिद्ध करता है। धर्म, यज्ञ, क्रिया और व्यवस्था का सार वैशाख मास में है। सम्पूर्ण देवताओं द्वारा पूजित है। भगवान विष्णु को यह मास सर्वाधिक प्रिय होता है।
वैशाख मास की मासिक मर्यादाएं
यह मास संयम, अहिंसा, अध्यात्म, स्वाध्याय और लोक सेवा का मास है। जो व्यक्ति जितनी अधिक सेवा कर सकता है, वह उसके लिए उतना ही लाभकारी है। शास्त्रों में जल दान को उत्तम दान माना गया है। प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व स्नान करना आवश्यक है। साथ ही प्रति पल ईश्वर की भक्ति में मन लगा रहना चाहिए। जीवन सादा हो। स्कंद पुराण में कहा गया है कि प्रत्येक साधक यह संकल्प अवश्य ले।
हे मधुसूदन! हे देवेश्वर माधव! मैं मेघ राशि में सूर्य के स्थित होने पर वैशाख मास में प्रात: स्नान करूंगा।
शास्त्रों में कहा गया है कि विष्णु प्रिय वैशाख मास में पादुका दान करना चाहिए। साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में विकास का प्रयास करना चाहिए। भारतीय संस्कृति में प्रत्येक काल को उसके मौसम प्रभाव के कारण विभाजित किया गया है। वैशाख मास में मौसम में आए बदलाव के कारण शारीरिक और मानसिक बदलाव आता है, इसका पूर्ण सकारात्मक प्रयोग आध्यात्मिक उपायों के द्वारा किया जाता है। पुराणों में वैशाख को सर्वाधिक महत्वपूर्ण मानने का वैज्ञानिक महत्व बताया गया है।