किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्पाइरेटरी मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डा. सूर्यकान्त ने बताया कि आइवरमेक्टिन फाइलेरिया तथा अन्य कृमि जनित बीमारियों के अतिरिक्त कई वायरस जनित बीमारियों मे भी कारगर होती है। इस दवा का असर कोविड-19 वायरस के विरूद्ध प्रयोगशाला मे देखा गया साथ ही कई देशों में इसके प्रभाव से कोविड-19 बीमारी पर रोकथाम हुयी एवं इससे होने वाली मृत्यु दर मे भी कमी आयी।
डा. सूर्यकान्त ने बताया कि आइवरमेक्टिन कई तरीकों से कोरोना वायरस पर असर करती है। यह वायरस को संक्रमित मनुष्य की कोशिकाओं के अंदर जाने से रोकती है साथ ही कोशिका के अंदर न्यूक्लीयस में भी जाने से रोकती है। इसके साथ ही कोरोना की प्रतिलिपियां बनाने की प्रक्रिया को भी रोकती है। साथ ही यह अन्य दवाओं जैसे डॅाक्सीसाइक्लीन व हायड्रोक्सी क्लोरोक्यून के साथ मिलकर भी प्रभावी कार्य करती है। भारत सहित पूरी दुनिया में लगभग 40 क्लीनिकल ट्रायल इस दवा की कोविड-19 के उपचार एवं बचाव में असर को लेकर चल रहे है।
इस दवा के इन प्रभावों एवं उपयोग को ध्यान मे रखते हुए डा. सूर्यकान्त एवं देश के अन्य विशेषज्ञों डा. वी. के. अरोरा (दिल्ली), डा. दिगम्बर बेहरा (चंडीगढ़), डा. अगम बोरा (मुम्बई), डा. टी. मोहन कुमार (कोइम्बटूर), डा. नारायणा प्रदीप (केरल) आदि द्वारा आइवरमेक्टिन पर एक श्वेतपत्र प्रकाशित किया गया । इस श्वेत पत्र को अब तक 100 से अधिक देशों के चिकित्सक एवं वैज्ञानिकों ने इसका अध्ययन किया है व इसमें वर्णित जानकारी से लाभान्वित हुये हैं । सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी वेवसाइट पर प्रदर्शित किया है । यह के.जी.एम.यू., उ.प्र. एवं देश के लिये गौरव की बात है।
डा. सूर्यकान्त ने बताया कि उत्तर प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा 06 अगस्त 2020 को आइवरमेक्टिन को कोविड-19 के बचाव एवं उपचार के सम्बन्ध मे एक शासनादेश पारित किया जा चुका है । देश में उत्तर प्रदेश ऐसा करने वाला प्रथम राज्य बन गया है। डा. सूर्यकान्त ने बताया कि इस शासनादेश के अनुसार कोविड-19 के लक्षण रहित एवं माइल्ड तथा मॅाडरेट रोगियों के उपचार तथा रोगियो के परिजनों एवं कोविड-19 के उपचार मे शामिल चिकित्सको एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओ के बचाव हेतु आइवरमेक्टिन उपयोग में लाया जाता है। यह बहुत सुरक्षित दवा है। केवल गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं एवं दो वर्ष से छोटे बच्चों मे इसका प्रयोग नही किया जाता है।