रवि बिश्नोई ने लखनऊ सुपर जायंट्स के पॉ़डकास्ट में उन्होंने बात करते हुए कहा, “IPL 2018 के लिए जब मैं बाहरवीं के बोर्ड एग्जाम छोड़ दिया था। उस वक्त मेरे पिता ने मुझे सख्ती से वापस आने के लिए कहा। लेकिन कोच ने मुझसे कहा कि यहां रहना होगा। फिर उस साल मैंने बोर्ड एग्जाम छोड़ने का फैसला किया और अगले साल पूरा किया।”
15 साल की उम्र में पढ़ाई छोड़ने का लिया फैसला
रवि बिश्नोई ने कहा,“उनके पिता जो सरकारी शिक्षक हैं। उनके लिए बहुत मुश्किल था जब मैंने पढ़ाई से ज्यादा क्रिकेट को प्राथमिकता देने का फैसला किया। 10 साल की उम्र में मैंने क्रिकेट एकेडमी ज्वाइन की और 15 साल की उम्र में मैंने पढ़ाई छोड़ने का फैसला ले लिया। क्योंकि मुझे क्रिकेट से समय नहीं मिल रहा था।”
रवि बिश्नोई ने कहा,“उनके पिता जो सरकारी शिक्षक हैं। उनके लिए बहुत मुश्किल था जब मैंने पढ़ाई से ज्यादा क्रिकेट को प्राथमिकता देने का फैसला किया। 10 साल की उम्र में मैंने क्रिकेट एकेडमी ज्वाइन की और 15 साल की उम्र में मैंने पढ़ाई छोड़ने का फैसला ले लिया। क्योंकि मुझे क्रिकेट से समय नहीं मिल रहा था।”
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रवि बिश्नोई ने कहा, “मां-पापा को विश्वास में लेना काफी मुश्किल था। मेरे कोच ने मेरे पिता से कहा था कि मेरी प्रतिभा की वजह से मुझे क्रिकेट खेलने दें। साल 2020 में ‘बांग्लादेश के खिलाड़ियों ने हमारे बल्लबाजों के साथ स्लेजिंग की। अंडर-19 वर्ल्ड कप टीम का हिस्सा थे बिश्नोई
रवि बिश्नोई ने कहा,“’बांग्लादेश के खिलाड़ियों ने स्लेजिंग की सारी हदें पार कर दीं, लेकिन जब मेरी बार आई तो हमने भी उन्हें ऐसा ही जवाब दिया।” बता दें, साल 2020 में रवि बिश्नोई भारत की अंडर-19 वर्ल्ड कप टीम का हिस्सा थे। उस साल भारत फाइनल में पहुंचा लेकिन बांग्लादेश से तीन विकेट से हार गया।
रवि बिश्नोई ने कहा,“’बांग्लादेश के खिलाड़ियों ने स्लेजिंग की सारी हदें पार कर दीं, लेकिन जब मेरी बार आई तो हमने भी उन्हें ऐसा ही जवाब दिया।” बता दें, साल 2020 में रवि बिश्नोई भारत की अंडर-19 वर्ल्ड कप टीम का हिस्सा थे। उस साल भारत फाइनल में पहुंचा लेकिन बांग्लादेश से तीन विकेट से हार गया।