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लखनऊ

सिर्फ भक्ति नहीं, कैफे और युवाओं का संगम है बनारस का अस्सी घाट

अस्सी घाट पर सुबह, शाम और दोपहर का नजारा एकदम अलग ही दिखाई देता है। सुबह में भक्त भक्ति में डूबे रहते हैं। शाम में घाट पर नौजवानों की भीड़ इकट्ठा होने लगती है।

लखनऊNov 25, 2022 / 03:26 pm

Nazia Naaz

अस्सी घाट वाराणसी के सबसे लोकप्रिय घाटों में से एक है।
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बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता अजय देवगन अपनी फिल्म दृश्यम 2 की सफलता के बाद वाराणसी पहुंचे हैं। इस दौरान अजय देवगन अस्सी घाट पर भी गए। गंगा के बायें तट पर मौजूद अस्सी घाट अपने आप में कई खूबियां लिए हुए है। हम आपको बनारस के अस्सी घाट की इन्हीं खूबियों को फोटोज के जरिए बता रहे हैं।

अस्सी घाट वाराणसी के सबसे लोकप्रिय घाटों में से एक है। अस्सी घाट गंगा और अस्सी नदियों के संगम से बना हुआ है। घाट का जिक्र अलग-अलग हिदुं धर्मों कूर्म पुराण, मत्स्य पुराण, पद्म पुराण और अग्नि पुराण में मिलता है।

भगवान रुद्र ने अस्सी घाट पर राक्षसों का वध किया था।
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हिंदू धर्म में एक पौराणिक कथा के अनुसार, देवी दुर्गा ने राक्षसों शुंभ-निशुंभ का वध करने के बाद अपनी तलवार फेंकी थी। जिस स्थान पर तलवार गिरी, वहाँ से एक नदी का उदय हुआ। उस समय इस नदी को अस्सी कहा जाता था।

दूसरी पौराणिक कथा में कहा गया है कि भगवान रुद्र (भगवान शिव का एक रूप) असुरों से गस्सा थे और उन्होंने इसी स्थान पर अपने क्रोध में 80 असुरों का वध किया था।

इस तरह इसे अस्सी (जिसका हिंदी में अर्थ 80 होता है) के नाम से जाना जाने लगा। हालाँकि, असुरों को मारने के बाद, भगवान रुद्र ने अपने किए पर पश्चाताप भी किया। इस घटना के बाद, उन्होंने सभी तरह की हिंसा को त्याग दिया और वाराणसी को एक ऐसा स्थान घोषित किया जो आने वाले समय में हमेशा अहिंसा के लिए खड़ा होगा।

गंगा और अस्सी नदी से मिल कर बना है अस्सी घाट
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अस्सी घाट पर दो नदियां (गंगा और अस्सी मिलती हैं)। इसलिए भक्त यहां पर डुबकी लगाना अच्छा मानते हैं। कई मौकों पर अस्सी घाट पर डुबकी लगाने वाले भक्तों की संख्या हजार के बराबार होती है। चंद्र और सूर्य ग्रहण, मकर सक्रांति और प्रबोधोनी एकादशी ऐसे ही कुछ मौके हैं।

घाट स्थित पीपल के पेड़ के नीचे शिवलिंग है। यहां श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाने के बाद पवित्र जल चढ़ाते हैं। मंदिर के निकट स्थित एक छोटे से संगमरमर के मंदिर के अंदर भी मौजूद है।

सुबह-ए- बनारस के नाम से मशहूर है अस्सी घाट की आरती
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आप अगर अस्सी घाट पर आएंगे तो आपको एक शांति का एहसास जरूर होगा। सुबह की आरती जिसे सुबह-ए- बनारस भी कहा जाता है, आप अस्सी घाट पर इस आरती का भी आनंद ले सकते हैं।

अस्सी घाट पर होने वाली शाम की आरती भी खूब सुंदर लगती है। शाम की आरती के दौरान भक्त नदी में दीप दान (नदी में दीप और फूल डालना) करते हैं।

शाम के वक्त घाट पर यंगस्टर की भीड़ बढ़ने लगती है।
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अस्सी घाट पर सुबह, शाम और दोपहर का नजारा एकदम अलग ही दिखाई देता है। सुबह में भक्त भक्ति में डूबे रहते हैं तो वहीं दोपहर में घाट के किनारे ही सभी भक्त आराम करते दिखाई देते हैं। इनमें ज्यादातर उम्रदराज लोग होते हैं। शाम के वक्त घाट पर यंगस्टर दिखाई देने लगते हैं।

अस्सी घाट पर पाए जाने वाले ट्रिपलिंग, टी-किला जैसे कैफे ना सिर्फ युवाओं के आकर्षण का केन्द्र हैं, साथ ही बिजनेस के लिहाज से भी एक बहेतरीन ऑप्शन है।

 अस्सी घाट दुर्गा कुंड से करीब 350 m की दूरी पर है।
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वाराणसी जंक्शन पर उतरने के बाद आप दुर्गाकुंड के लिए ऑटो लें। दुर्गाकुंड पर आप थोड़ा आराम और नाश्ता-पानी भी कर सकते हैं। अस्सी घाट दुर्गा कुंड से करीब 350 m की दूरी पर है। अगर आप अपनी गाड़ी से अस्सी घाट की सैर करने पहुंचे हैं तो आपको घाट के किनारे पार्किंग की व्यवस्था भी मिल जाएगी।

 

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