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Indian Railway : ट्रेन में छूटे या खोए सामान का क्‍या करता है रेलवे? पाने का नियम जानें

Indian Railway Rules रेलवे ट्रेन यात्रियों की सुविधा के लिए लगातार नए नियम बना रहा है। कभी आपने सोचा है कि ट्रेन में छूटे हुए सामान का रेलवे क्या करती है। जी, कभी-कभी ऐसा होता है कि, रेल सफर में यात्री अपना जरूरी सामान जैसे मोबाइल, पर्स, लैपटॉप, चार्जर या लगेज बैग आद‍ि भूल जाते हैं। उसके बाद इन सामनों का क्या होता है।

लखनऊJul 08, 2022 / 10:08 am

Sanjay Kumar Srivastava

Indian Railway : ट्रेन में छूटे या खोए सामान का क्‍या करता है रेलवे? पाने का नियम जानें

Indian Railway Rules रेलवे ट्रेन यात्रियों की सुविधा के लिए लगातार नए नियम बना रहा है। कभी आपने सोचा है कि ट्रेन में छूटे हुए सामान का रेलवे क्या करती है। जी, कभी-कभी ऐसा होता है कि, रेल सफर में यात्री अपना जरूरी सामान जैसे मोबाइल, पर्स, लैपटॉप, चार्जर या लगेज बैग आद‍ि भूल जाते हैं। उसके बाद इन सामनों का क्या होता है। क्या रेलवे इनको कहीं सुरक्षित रखती है। आखिरकार, रेलवे इन खोए हुए सामानों का क्‍या करती है। जानें। तो, रेलवे का यह नियम जानना आपके लिए बेहद जरूरी है। अगर ट्रेन यात्रा के दौरान आपका सामान कभी छूट जाता है। तो रेलवे के इन नियमों की जानकारी के बाद आसानी से अपने खोए सामान को वापस पासकते हैं। रेलवे के नियमों (Indian Railway Rules) के अनुसार, ट्रेनों में छूटे सामान को उनके असल माल‍िक तक पहुंचाने का पूरा प्रोसेस है क्या है जानें।

ट्रेन का बारीक निरीक्षण
जब ट्रेन अपने गंतव्‍य स्‍टेशन (Destination Station) पर पहुंच जाती है तो खाली ट्रेन की चेकिंग की जाती है। रेलवे सुरक्षा बल की टीम के साथ स्टेशन स्‍टॉफ खाली ट्रेन की बारीकी से चेक‍िंग करते हैं। इस चेक‍िंग में गाड़ी की सुरक्षा को ध्‍यान रखने के साथ ही यह भी देखा जाता है क‍ि, कहीं क‍िसी यात्री का कोई जरूरी सामान सीट पर छूट तो नहीं गया है। ट्रेन की चेकिंग के बाद अगर कोई सामान म‍िलता है तो चेकिंग स्टाफ उसे संबंध‍ित स्टेशन मास्टर के पास जमा करा देता है। पर इससे पहले वह मिले सामान की एक लिस्ट बनाता है। जिसे स्टेशन मास्टर को सुपुर्द किया जाता है।
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खोए सामान को ढूंढ़ने की प्रक्रिया

आरपीएफ या अन्‍य रेलवे स्‍टॉफ की तरफ से जमा कराए गए सामान को खोई हुई संपत्ति के रजिस्टर में दर्ज किया जाता है। यहां उस सामान की पूरी ड‍िटेल दर्ज की जाती है। मसलन वस्‍तु का नाम, वजन, अनुमानित कीमत आदि का रिकॉर्ड रखा जाता है। कोई बक्सा या संदूक म‍िलता है तो रेलवे सुरक्षा बल या रेलवे पुलिस की मौजूदगी में उसके सामान की लिस्ट बनाई जाती है। ल‍िस्‍ट की तीन कॉपी होती है। पहली कॉपी रजिस्टर में दूसरी संदूक में और तीसरी रेलवे सुरक्षा बल के पास रहती है। इसके बाद संदूक को सीलबंद कर दिया जाता है।
पूरी संतुष्टि बाद वापस करता है सामान

खोए हुए सामान के लिए कोई व्यक्ति संपर्क करता है तो स्‍टेशन मास्‍टर उससे अपनी पूरी संतुष्टि करता है। संतुष्टि होने पर संबंध‍ित सामान उस व्यक्ति को दे द‍िया जाता है। दावेदार का पूरा पता खोई हुई संपत्ति के रजिस्टर में दर्ज होता है। रेलवे से वस्तु प्राप्‍त करने के बाद दावेदार के हस्‍ताक्षर भी रज‍िस्‍टर में कराए जाते हैं।
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स्टेशन मास्‍टर कर सकता है सामान देने से इंकार

स्टेशन मास्‍टर को यदि दावेदार के असली मालिक होने पर शक होता है तो वह सामान को सौंपने से इंकार कर सकता है। इसके बाद मामला डिवीजनल कमर्शियल सुपरिटेंडेंट के पास जाता है यहां पूरी छानबीन होने के बाद ही सामान को लौटाया जाता है।
रेलवे भी स्वयं पहुंचा सकता है खोया सामान

दूसरा न‍ियम यह है क‍ि स्टेशन मास्टर खोई हुई संपत्ति को उसके असली मालिक तक पहुंचाने का प्रयास करता है। परर उसके लिए यह जरूरी हो कि, सामान पर नाम या पहचान की जानकारी अगर मिलती है तो यह काम किया जाता है।
लॉस्ट प्रॉपर्टी ऑफिस भेजने से पहले सात दिन इंतजार

खोए सामान को लॉस्ट प्रॉपर्टी ऑफिस भेजने से पहले दावेदार का इंतजार किया जाता है। सात इंतजार करने के बाद ही सामान को लॉस्ट प्रॉपर्टी ऑफिस भेजा जाता है। पर इस बीच अगर दावेदार आ गया तो उससे सामान की पहचान पुख्ता करने के बाद उसे बिना कोई शुल्क लिए उसे वापस कर दिया जाता है।

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