क्या कहता है हड़ताल पर जाने का नियम भारतीय रेलवे के स्टेशन मास्टरों ने 31 मई पर हड़ताल पर जाने का फैसला किया। लेकिन कर्मचारियों के लिए नियमों के दायरे में रहकर हड़ताल करना आसान नहीं है। रेलवे यूनियन को देश के कई जोनल यूनियन की तरफ से हड़ताल को लेकर पत्र आए हैं। इसमें रेलवे ने कार्मिक प्रशिक्षण विभाग के नियमों का हवाला देते हुए कहा यूनियन बनाने के अधिकार दिया जाता है लेकिन हड़ताल पर जाने का कोई अधिकार नहीं है।
यह भी पढ़े – अचानक इतनी सस्ती हो गई ईंट, कहीं सस्ते दाम आपके घर की नींव तो नहीं कर रहे कमजोर, जानें नई कीमतें दो सालों से नही हो रही सुनवाई स्टेशन मास्टर एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि यह निर्णय कोई अचानक लिया गया फैसला नहीं है। कम से कम सात चरणों में विरोध जता चुके हैं लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। देश के स्टेशन मास्टरों ने 15 अक्टूबर 2020 को रात्रि ड्यूटी शिफ्ट में स्टेशन पर मोमबत्ती जला कर विरोध प्रदर्शन किया। एक दिवसीय भूख हड़ताल पर रहे। लेकिन सरकार कोई सुनवाई नहीं कर रही।
देशभर में 6 हजार से ज्यादा खाली हैं पद दरअसल, ऑल इंडिया स्टेशन मास्टर्स एसोसिएशन अक्टूबर 2020 से अपनी मांगो को लेकर संघर्ष कर रहा है। एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा कि पूरे देश में इस समय 6,000 से भी ज्यादा स्टेशन मास्टरों की कमी है। लेकिनरेल प्रशासन इस पद पर भर्तियां नहीं निकाल रहा है। इस कारण देश के आधे से भी ज्यादा स्टेशनों पर महज सिर्फ 2 ही स्टेशन मास्टर पोस्टेड हैं। यदि कोई छुट्टी पर जाता है तो काम का लोड बढ़ जाता है। अब हड़ताल के अलावा कोई विकल्प नहीं बच रहा है।