विधानसभा में संख्या बल के हिसाब से सहयोगियों के साथ मिलकर बीजेपी अपने 10 सदस्य जितवा सकती है, जबकि सपा का एक कैंडिडेट आसानी से जीत जाएगा। लेकिन, 13वें कैंडिडेड की एंट्री ने सपा के दूसरे कैंडिडेट की राह में कांटे बिछा दिये हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर नाम वापसी के अंतिम दिन तक प्रत्याशियों की संख्या 13 ही रही और निर्दलीय कैंडिडेट महेश चंद्र शर्मा अगर जोड़तोड़ करने में सफल रहे तो निश्चित ही सपा के दूसरे प्रत्याशी के लिए खतरा बढ़ जाएगा। एमएलसी के लिए चुनाव 28 जनवरी को मतदान होगा और उसी दिन शाम तक परिणाम घोषित होगा।
वर्तमान में अपना दल (09) को मिलाकर बीजेपी के पास कुल 320 विधायक हैं वहीं, समाजवादी पार्टी के पास 48 विधायक हैं। एक एमएलसी की सीट के लिए 32 वोटों की जरूरत होगी। ऐसे में बीजेपी के 10 कैंडिडेट्स की जीत सुनिश्चित मानी जा रही है, जबकि सपा को दूसरे कैंडिडेट को जिताने के लिए 16 और सदस्यों के वोट की जरूरत होगी। ऐसे उसे जोड़तोड़ के अलावा कांग्रेस, सुभासपा और निर्दलीयों के वोटों की जरूरत होगी।
बीजेपी कैंडिडेट
उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, अरविंद कुमार शर्मा, लक्ष्मण आचार्य, गोविंद नारायण शुक्ला, कुंवर मानवेंद्र सिंह, सलिल विश्नोई, अश्वनी त्यागी, धर्मवीर प्रजापति, सुरेंद्र चौधरी। सपा प्रत्याशी
अहमद हसन, राजेंद्र चौधरी
उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, अरविंद कुमार शर्मा, लक्ष्मण आचार्य, गोविंद नारायण शुक्ला, कुंवर मानवेंद्र सिंह, सलिल विश्नोई, अश्वनी त्यागी, धर्मवीर प्रजापति, सुरेंद्र चौधरी। सपा प्रत्याशी
अहमद हसन, राजेंद्र चौधरी