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UP: मृतक आश्रित कोटे पर नौकरी के लिए योगी सरकार का अहम फैसला, जारी किए ये निर्देश

मृतक आश्रित कोटे में पांच साल बाद नौकरी पाना किसी भी व्यक्ति का अधिकार नहीं होगा। इसके लिए आवेदक को निर्धारित समय में आवेदन करना होगा। उत्तर प्रदेश शासन इस बारे में जरूरी निर्देश जारी कर दिए हैं।

लखनऊOct 12, 2022 / 10:24 am

Jyoti Singh

Important decision of Yogi government for job on deceased dependent quota

उत्तर प्रदेश सरकार (UP Government) ने मृतक आश्रित कोटे (Compassionate Grounds Appointment) पर नौकरी करने वालों के लिए अहम फैसला लिया है। जिसके तहत पात्रता की श्रेणी में आने वाला व्यक्ति यदि पांच साल तक नौकरी के लिए आवेदन नहीं करता है तो उसका अधिकार खत्म माना जाएगा। सरकार की तरफ से एक आदेश जारी किया गया है जिसके मुताबिक, किसी कर्मचारी की मौत के पांच साल के अंदर ही आश्रित को विभाग के स्तर से नौकरी दी जा सकती है। पांच साल बाद नौकरी पाना किसी भी व्यक्ति का अधिकार नहीं माना जाएगा। आदेश में यह भी कहा गया है कि पांच साल से ज्यादा अवधि बीतने बीतने पर नियमों को शिथिल करने या राहत देने का अधिकार सिर्फ मुख्यमंत्री के पास ही होगा।
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पांच साल बाद नौकरी पाना अधिकार क्षेत्र में नहीं

प्रदेश के अपर मुख्य सचिव नियुक्ति डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने मृतक आश्रित कोटे में आए प्रकरणों को शीघ्र निस्तारित करने के निर्देश दिए हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा था कि मृतक आश्रित कोटे में नौकरी पाना अधिकार नहीं है। गौरतलब है कि मृतक आश्रित कोटे पर नौकरी पाने के लिए पात्रता की श्रेणी में आने वाले को संबंधित विभाग में आवेदन देना होता है लेकिन कुछ लोग आश्रित कोटे पर नौकरी पाने के लिए कई सालों तक आवेदन ही नहीं कर रहे हैं। जबकि मामला शासन के संज्ञान में आने के बाद ही ये फैसला लिया गया है। जिसके तहत यदि पांच साल तक आवेदन नहीं किया गया तो वह व्यक्ति नौकरी पाने का हकदार नहीं होगा।
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वारिस अनुकंपा पर नियुक्ति पाने के लिए हकदार नहीं

गौरतलब है कि इससे पहले उप्र के कार्मिक विभाग की तरफ से एक अगस्त को आदेश जारी किया गया था। जिसमें कहा गया था कि यदि माता-पिता की सरकारी नौकरी है तो उसका वारिस अनुकंपा पर नियुक्ति पाने के लिए हकदार नहीं होगा। मृतक आश्रित कोटे पर नौकरी पाने के लिए व्यक्ति को शपथ पत्र देना होगा कि मौजूदा अभिभावक सरकारी नौकरी में नहीं है। आदेश में यह भी कहा गया कि जनवरी 1999 में इस संबंध में स्पष्ट नीति जारी की जा चुकी है। जिसके मुताबिक, माता-पिता यदि दोनों सरकारी नौकरी में हैं और इनमें से किसी एक की मृत्यु हो जाती है, ऐसी स्थिति में उसका वारिस मृतक आश्रित कोटे पर नौकरी पाने का हकदार नहीं होगा।

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