यह भी पढ़े – जब अलीगढ़ में कांग्रेस विधायक के जीतने से आसान हुई थी मुलायम सिंह के मुख्यमंत्री बनने की राह… पांच साल बाद नौकरी पाना अधिकार क्षेत्र में नहीं प्रदेश के अपर मुख्य सचिव नियुक्ति डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने मृतक आश्रित कोटे में आए प्रकरणों को शीघ्र निस्तारित करने के निर्देश दिए हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा था कि मृतक आश्रित कोटे में नौकरी पाना अधिकार नहीं है। गौरतलब है कि मृतक आश्रित कोटे पर नौकरी पाने के लिए पात्रता की श्रेणी में आने वाले को संबंधित विभाग में आवेदन देना होता है लेकिन कुछ लोग आश्रित कोटे पर नौकरी पाने के लिए कई सालों तक आवेदन ही नहीं कर रहे हैं। जबकि मामला शासन के संज्ञान में आने के बाद ही ये फैसला लिया गया है। जिसके तहत यदि पांच साल तक आवेदन नहीं किया गया तो वह व्यक्ति नौकरी पाने का हकदार नहीं होगा।
यह भी पढ़े – मुख्तार अंसारी के ‘भगोड़े’ बेटे अब्बास अंसारी पर ED का शिकंजा, लुकआउट नोटिस जारी वारिस अनुकंपा पर नियुक्ति पाने के लिए हकदार नहीं गौरतलब है कि इससे पहले उप्र के कार्मिक विभाग की तरफ से एक अगस्त को आदेश जारी किया गया था। जिसमें कहा गया था कि यदि माता-पिता की सरकारी नौकरी है तो उसका वारिस अनुकंपा पर नियुक्ति पाने के लिए हकदार नहीं होगा। मृतक आश्रित कोटे पर नौकरी पाने के लिए व्यक्ति को शपथ पत्र देना होगा कि मौजूदा अभिभावक सरकारी नौकरी में नहीं है। आदेश में यह भी कहा गया कि जनवरी 1999 में इस संबंध में स्पष्ट नीति जारी की जा चुकी है। जिसके मुताबिक, माता-पिता यदि दोनों सरकारी नौकरी में हैं और इनमें से किसी एक की मृत्यु हो जाती है, ऐसी स्थिति में उसका वारिस मृतक आश्रित कोटे पर नौकरी पाने का हकदार नहीं होगा।