लखनऊ

कैसा था प्राचीन राममंदिर जिसकी पताका गगन में लहराती थी?

Ram Mandir Katha 19: दुनिया के सर्वश्रेष्ठ मंदिर को तोड़ा गया। अदभुत वास्तुकला से युक्त इस मंदिर की पताका अयोध्या के गगन में लहराती थी, जिसे मनकापुर से देखा जाता था। आइए आपको बताते है प्राचीन श्री रामजन्मभूमि पर स्थित उस मंदिर की खास बातें जिसे आक्रांता बाबर ने तोड़ दिया…।

लखनऊOct 08, 2023 / 09:01 am

Markandey Pandey

दुनिया के सर्वश्रेष्ठ चार मंदिरों में उस समय पहले नंबर पर अयोध्या का श्रीराम मंदिर हुआ करता था, जिसे बाबर ने तोड़ डाला।

मंदिर की सामग्री से मस्जिद का निर्माण शुरू किया गया। जिस मंदिर को तोड़ा गया वह तत्कालीन समय में विश्व का सबसे सुंदर और भव्य मंदिर था जिसमें सात कलश और एक सर्वोच्च शिखर था। बताया जाता है कि आज के मनकापुर से श्रीराम जन्मस्थान का मंदिर दिखाई पड़ता था। कहा जाता है कि दुनिया के सर्वश्रेष्ठ चार मंदिरों में उस समय पहले नंबर पर अयोध्या का श्रीराम मंदिर हुआ करता था, जिसे बाबर ने तोड़ डाला। इस मंदिर में एक शिखर और सात कलश थे जो आज के मनकापुर से देखे जा सकते थे।
सीता कूप से बनता था भोजन

मंदिर के चारों तरफ करीब छह सौ एकड़ का विस्तृत मैदान था। इसके आसपास अति सुंदर उद्यान और कुंज थे। उद्यान के बीचोबीच में दो सुंदर पक्के कुंए थे जो मंदिर के गोपुर के सामने अग्रि कोण पर स्थित थे। सामने वाला कूप नवकोण का था जिसे कंदर्प कोण कहा जाता है।
इस कूप से स्नान करके राजा ययाति ने युवकत्व प्राप्त किया था। अग्रि कोण पर स्थित कूप को महाराजा दशरथ ने माता कौशल्या के लिए बनवाया था, जिसे ज्ञानकूप भी कहा जाता था। जिसे बाद में माता सीता को मुंह दिखाई में कौशल्या ने दे दिया था जिसके बाद इसका नाम ज्ञान कूप की जगह सीता कूप कहा जाने लगा। राजमहल के भीतर सभी का भोजन इसी कूप के जल से बनता था। परंपरा अनुसार विवाह आदि या शुभकार्यो में माताएं इसी कूप में अपना पैर लटका कर बैठती थी जो उस समय की अवध की परंपरा थी।
अष्टांग योग में निपुण वेदपाठी होते थे तैयार

मंदिर के पूर्व द्वार पर भव्य गोहार था, जिसमें नियमित सुबह शहनाई की धुन पर राग भैरवी होता था। जबकि इसी स्थान पर शाम को श्याम कल्याण और गौरी राग की धुन छिड़ती थी। उक्त मंदिर में दस लाख रुपया सालाना चढ़ावा आता था जिससे मंदिर के उत्सव संबंधित समस्त कार्य बड़े ही सुव्यवस्थित तरीके से किया जाता था। बड़े-बड़े विद्वान और वेदपाठी ब्राम्हण नियमित यहां पर मंगला आरती के समय श्रीसुक्त और पुरुष सुक्त का पाठ सस्वर किया करते थे।
पश्चिमी के पश्चिम तरफ अतिथिशाला थी जिसमें ब्राम्हण साधु, अतिथि और अभ्यागतों का सत्कार करने का उचित प्रबंध किया गया था। यही पर एक वेद पाठशाला भी थी जिसमें ऋत्विज ब्राम्हण तैयार किये जाते थे। जो अष्टांग योग में निपुण होते थे और वेद शास्त्र कंठस्थ होता था। यह वेदपाठी ब्राम्हण देश-देशांतर में जाकर सनातन धर्म, संस्कृत व संस्कृति का प्रचार प्रसार करते थे। सनातन धर्म संबंधित लोगों की जिज्ञासाओं का समाधान भी किया करते थे।
यही पर एक आयुर्वेद शाला भी थी, जहां वेदपाठी ब्राम्हणों को आयुर्वेद की गहन शिक्षा दी जाती थी जिससे वह अपने सनातन यात्राओं में लोगों को जनकल्याण और स्वास्थ्य संबंधित सूत्र भी दिया करते थे। राजा व्रिकमादित्य द्वारा निर्मित यह मंदिर 84 प्रस्तर खंभों पर बना हुआ था। जिसे आतताई बाबर और उसकी सेना ने तोडक़र नष्ट कर दिया। भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर स्थित मंदिर का स्वरुप कितना भव्य था, यह मानचित्र धर्मग्रंथों में वर्णित उसके स्वरुप के आधार पर बताया जाता है।
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम पर शोधपूर्ण पुस्तक मेरे राम सबके राम लिखने वाले फजले गुफरान लिखते हैं कि कई प्राचीन शहरों की तरह अयोध्या नगरी भी कई बार बसी और उजड़ी है। इस उजडऩे बसने के क्रम में अयोध्या में मंदिरों, भवनों और गढिय़ों का निर्माण होता रहा है। ये सभी आज धरोहर के रुप में विद्यमान है और लोग इन दर्शनीय स्थलों पर अपनी आस्था और विश्वास के साथ दर्शन के लिए आते हैं।
वह आगे लिखते हैं कि पौराणिक काल की बात छोड़ दे तो जब से हमने गणना करना और समय काल के बारे में आंकलन करना सीखा है तब से पुरानी सभ्यताओं के देशकाल के बारे में जानकारी जुटा रहे हैं। इन्हीं जानकारियों में से होते हुए हम इतिहास के पन्नों तक पहुंचते हैं और पाते हैं कि 1528 से लेकर 2020 तक के बीच बाबरी ढांचे को तोडक़र राममंदिर बनाए जाने की मांग बहुत पुरानी है। राम की लड़ाई 15वीं शताब्दी में ही शुरू हो गई थी जब बाबर का शासन था।
बाबा श्यामानंद की कहानी भी विश्व हिंदू परिषद की ओर से शोध के बाद जारी लेखों और पुस्तकों में बताया जाता है। माना जाता है कि बाबा श्यामानंद के शिष्य फकीरों ने जब अपने गुरु के साथ विश्वासघात किया तब से ही सिद्धियों को गोपनीय रखने की परंपरा शुरू हो गई और संतों और सिद्ध पुरुषों ने अपने ज्ञान को देने में संकोच करना शुरू कर दिया।

Hindi News / Lucknow / कैसा था प्राचीन राममंदिर जिसकी पताका गगन में लहराती थी?

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.