ये भी पढ़ें- पर्यटकाें को मिलेगी सही जानकारी, अयोध्या का इतिहास बताएंगे प्रशिक्षित टूरिस्ट गाइड लाइसेंस पाने की प्रक्रिया- सबसे पहले इसके लिए जिलाधिकारी या कमिश्नर के ऑफिस में आवेदन करना होता है। वहां से आवेदन पत्र पुलिस निदेशक के पास जाता है। यहां से जांच के लिए आवेदन पत्र आवेदक के लोकल थाने में पहुंचता है। लोकल थाना पुलिस की जांच प्रक्रिया सबसे महत्वपूर्ण होती है। वह आपका पता, पृष्ठभूमि, कामकाज व आपराधिक रिकॉर्ड है या नहीं, इसकी पूरी जानकारी खंगालती है। सब कुछ ठीक रहा तो आवेदन पत्र व दस्तावेज जिला क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के पास भेजा जाएगा। यहां भी आवेदक के क्रिमिनल बैकग्रांउंड की जानकारी खंगाली जाएगी। थाने से आई रिपोर्ट को रीचेक किया जाता है। इसके बाद आवेदन रिपोर्ट के साथ वापस एसपी ऑफिस भेज दिया जाता है। यहां कुछ कागजी औपचारिकताएं होती है, जिन्हें पूरा किया जाता है और एसपी ऑफिस से आवेदन को डीएम या पुलिस कमिश्नर के दफ्तर भेजा जाता है। आवेदक के बारे में एलआईयू (लोकल इंटेलिजेंस यूनिट) भी जांच करती है। अब एसपी और एलआईयू की रिपोर्ट डीएम को पास पहुंचती है, जहां से आखिरी मुहर लगती है। डीएम के विवेक पर निर्भर करता है कि लाइसेंस दें या न दें। मतलब मुमकिन है की जिलाधिकारी लाइसेंस न भी जारी करे।
ये भी पढ़ें- हाथरसः सीबीआई ने दाखिल की चार्जशीट, बताया पीड़िता की गैंगरेप कर की गई हत्या यह दस्तावेज जरूरी- आवेदन करते वक्त जो जरूरी दस्तावेज लगेंगे, उनके बारे में भी जान लीजिए। इसमें आपका एड्रेस प्रूफ, आयु प्रमाण पत्र, कैरेक्टर सर्टीफिकेट, इनकम सर्टिफिकेट, मेडिकल सर्टिफिकेट, संपत्ति की जानकारी, लोन या उधार ले रखा है तो उसके बारे में जानकारी, नौकरे करते हैं या बिजनेस मैन है, उसकी जानकारी भी देनी होगी। कौन सा हथियार रखना चाहते हैं, उसका विकल्प भी बताना होगा। आवेदक केवल रिवॉल्वर, पिस्टल, राइफल या बंदूक के लिए ही आवेदन कर सकता है। इसके अतिरिक्त और कोई नहीं। मलसन यदि आवेदक मशीन गन के लिए अप्लाई करना चाहे, तो वह नहीं कर सकते।
अब खरीद सकते हैं हथियार- लाइसेंस मिल जाने के बाद आवेदक सरकार द्वारा निर्धारित हथियार की दुकान पर जाकर आप विकल्प में चुने गए हथियार को खरीद सकते हैं। घर ले जाने से पहले भी एक प्रक्रिया है। आवेदक के लाइसेंस में हथियार की प्रकार की पूरी जानकारी होती है। उसी हथियार को खरीदने के बाद उसे प्रशासन व लोकल थाने में ले जाना होता है। प्रशासन स्तर पर आपकी लाइसेंस में हथियार का दर्ज विवरण और खरीदे गए हथियार की जानकारी को मैच किया जाता है। उसका रिकॉर्ड दर्ज किया जाता है। फिर संबंधित थाने मेें इसकी जानकारी दर्ज की जाती है। अब आवेदक हथियार को घर ले जा सकता है।