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ऐसे होती है रोबोटिक सर्जरी
रोबोटिक सर्जरी में रोबोट के साथ एक पर कैमरा लगा होता है और दो हाथ सर्जन के हाथों की तरह व चौथा हाथ अवरोधों को हटाता है। हाथों को सर्जन कंसोल से कंट्रोल कर सर्जरी किए जा रहे अंग की मल्टी डाइमेंशनल तस्वीरें मॉनिटर की स्क्रीन पर देखकर रोबोट को निर्देश देते हैं। इससे विशेषज्ञ नाजुक अंगों की सर्जरी भी सटीक ढंग से कर पाते हैं। इसमें द विंसी रोबोट मशीन हाई डेफिनिशन थ्री-डी कैमरा से युक्त होती है। थ्री-डी हाई डेफिनिशन विजुअल सिस्टम के जरिए छोटे उपकरण शरीर में प्रवेश कराए जाते हैं। ये मानव हाथ से कहीं ज्यादा घूमते हैं। सर्जन ऑपरेशन के लिए अपने हाथ के बजाय तमाम हाथ वाले रोबोट का सहारा लेता है। एक तरह से यह कंप्यूटराइज्ड सिस्टम से कंट्रोल होता है। सर्जरी से पहले मरीज को एनेस्थीसिया दिया जाता है और जिस अंग का ऑपरेशन होना होता है उसकी सफाई की जाती है। इसके बाद आधे से डेढ सेंटीमीटर के कुछ छेद करके करके उनमें कैनुला (पोर्ट) ट्यूब डाल दी जाती है जिससे रोबोट सर्जरी करते हैं। डॉक्टर जहां 10 मिमी तक सटीकता के साथ काम कर सकते हैं, वहीं एक रोबोट एक मिमी की सटीकता के साथ। इस तरह इसकी एक्यूरेसी शत प्रतिशत रहती है। द विंसी रोबोट मशीन से हृदय शल्य चिकित्सा, कोलोरेक्टल, जनरल, गायनेकोलॉजिक सर्जरी की जा सकती है।
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रोबोटिक सर्जरी के फायदे
रोबोटिक सर्जरी में चीरे बहुत छोटे लगते हैं। साथ ही मरीज जल्दी रिकवर कर लेता है। इसमें खून भी ज्यादा नहीं बहता है। ऑपरेशन के बाद दर्द भी कम होता है। संक्रमण का खतरा भी नहीं रहता। कम स्टाफ की जरूरत पड़ती है। ओपन हार्ट सर्जरी में 10 से 12 इंच तक का चीरा लगता है। इसके बाद सीने की हड्डी को अलग करने के बाद पसलियों के अंदर रोगी को हार्ट मशीन पर रखकर ऑपरेशन किया जाता है, जबकि रोबोटिक सर्जरी में सिर्फ एक चीरे से काम चल जाता है।
इन बीमारियों के लिए उपयोगी
छाती, फेफड़े, सांसनली, छोटी व बड़ी आंत, किडनी, गॉलब्लैडर, पैनक्रियाज फूड पाइप, थाइमस (हृदय व रक्तवाहिकाओं के ऊपर स्थित ग्रंथि) व पेट आदि अंगों में कैंसर, इनकी कार्यप्रणाली में गड़बड़ी या ट्यूमर होने की दशा में रोबोटिक सर्जरी की सलाह दी जाती है। इसके अलावा मोटापा घटाने के लिए बैरिएट्रिक सर्जरी में भी रोबोट का सहारा लिया जाता है।
रोबोटिक सर्जरी से पहले करना होता है ये काम
रोबोटिक सर्जरी करने से पहले ब्लड टेस्ट, हार्ट व लंग्स की फंक्शनिंग, ब्लड प्रेशर व ब्लड शुगर संबंधी जांचें की जाती हैं। रिपोर्टस में यदि मल्टीपल डिसऑर्डर यानी एक से अधिक रोगों का पता चलता है तो मरीज और उसके परिवार से रोबोटिक सर्जरी के संबंध में अनुमति मांगी जाती है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि यह ऑपरेशन लंबे समय तक चलता है। सहमति मिलने पर मरीज को एक तय तिथि पर अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी जाती है और सर्जरी से पूर्व कम से कम पांच घंटे पहले से खानपान बंद करने को कहा जाता है। ऑपरेशन करने वाली टीम में एनेस्थीसिया देने वाला विशेषज्ञ, तीन सर्जन (एक प्रमुख और दो सहायक), नर्स और टेक्नीशियन होता है।
50 फीसदी कम आएगा खर्च
रोबोटिक सर्जरी का फायदा यह होगा कि इससे 40 फीसदी मौतें कम होंगी और खर्च भी 50 फीसदी कम आएगा। वहीं कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के मेडिकल डॉयरेक्टर डॉ. मार्क स्लैक ने बताया कि हर साल एक मिलीयन लोग ऑपरेशन में दम तोड़ते हैं। सर्जरी के लिए सीएमआर रोबॉट पर रिसर्च किया गया है। यह रोबॉट दूसरे रोबॉट की तुलना में काफी छोटा होता है और इसकी मदद से सर्जरी भी काफी आसानी से हो सकेगी। रोबॉटिक सिस्टम की स्थापना सर्जिकल गैस्ट्रोलॉजी विभाग में की जाएगी।
31 करोड़ में खरीदा गया रोबोट
पीजीआई निदेशक डॉ राकेश कपूर के मुताबिक संस्थान के कई डॉक्टरों को इसका प्रशिक्षण दिया जा चुका है। रोबोटिक सर्जरी के लिए पीजीआई में लाया गया यह रोबोट अमेरिका से 31 करोड़ रुपये में खरीदा गया है। सीएमएस डॉ. अमित अग्रवाल बताते हैं कि सामान्य सर्जरी के मुकाबले रोबोटिक सर्जरी की सफलता की दर अधिक होगी।