राम रथ यात्रा ने बदल दी यूपी की सियासत
वीपी सिंह के प्रधानमंत्री के शासन काल में साल 1990 की 25 सितंबर को लाल कृष्ण आडवाणी की अगुवाई में गुजरात के सोमनाथ से यूपी के अयोध्या के लिए निकली राम रथ यात्रा ने देश के साथ – साथ उत्तर प्रदेश के राजनीति सियासत की तकदीर बदल कर रख दी थी। रथ यात्रा शुरू करने के बाद आडवाणी ने एक संबोधन दिया। इस संबोधन में उन्होंने कहा था “ सौगंध राम की खाते हैं मंदिर वहीं बनाएंगे ” इस रथ यात्रा में तब आडवाणी के साथ नरेंद्र मोदी भी साथ में थे।
वीपी सिंह के प्रधानमंत्री के शासन काल में साल 1990 की 25 सितंबर को लाल कृष्ण आडवाणी की अगुवाई में गुजरात के सोमनाथ से यूपी के अयोध्या के लिए निकली राम रथ यात्रा ने देश के साथ – साथ उत्तर प्रदेश के राजनीति सियासत की तकदीर बदल कर रख दी थी। रथ यात्रा शुरू करने के बाद आडवाणी ने एक संबोधन दिया। इस संबोधन में उन्होंने कहा था “ सौगंध राम की खाते हैं मंदिर वहीं बनाएंगे ” इस रथ यात्रा में तब आडवाणी के साथ नरेंद्र मोदी भी साथ में थे।
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रथ यात्रा ने तैयार की मंडल बनाम कमंडल की राजनीतिक लड़ाई आडवाणी की इस यात्रा ने न केवल राम मंदिर के निर्माण का मुद्दा उठाया बल्कि मंडल की राजनीति के खिलाफ कमंडल के दांव को भी आगे बढ़ाया। अयोध्या पहुंचने से पहले ही लाल कृष्ण आडवाणी को बिहार के समस्तीपुर जिले में गिरफ्तार कर लिया गया था। उस समय बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव थे। राम रथ यात्रा का ऐसा असर हुआ कि एक ओर जहां देश में मंडल की राजनीति हो रही थी तो वहीं यूपी में पूरी पॉलिटिक्स मंडल बनाम कमंडल की हो गई। जब सूबे में बनी पहली बार बीजेपी की सरकार
राम रथ यात्रा ने पूरे देश में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की लहर पैदा की। इस यात्रा ने देश के राजनीतिक और सियासी विमर्श को बदल दिया। वर्ष 1991 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 120 सीटें मिलीं, जो पिछले चुनाव से 35 ज्यादा थीं। वहीं 24 जून 1991 में पहली बार उत्तर प्रदेश में बीजेपी सरकार बनाने में सफल हुई थी।
राम रथ यात्रा ने पूरे देश में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की लहर पैदा की। इस यात्रा ने देश के राजनीतिक और सियासी विमर्श को बदल दिया। वर्ष 1991 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 120 सीटें मिलीं, जो पिछले चुनाव से 35 ज्यादा थीं। वहीं 24 जून 1991 में पहली बार उत्तर प्रदेश में बीजेपी सरकार बनाने में सफल हुई थी।