लखनऊ

यूपी के एक गांव में नहीं होती है होलिका दहन और उसकी की पूजा, जानिए वजह

Holi Celebration 2023 गावं में खेला जाता है, जमकर रंग, लेकिन नहीं होती है होलिका दहन और उसकी पूजा। गांव की महिलाएं जाती हैं, दूसरे गांव।

लखनऊMar 08, 2023 / 04:47 pm

Ritesh Singh

दुर्योधन ने बनवाया, भीम ने हिलाया

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में एक गांव ऐसा है, जहां होलिका दहन नहीं होता है। गांव वालों का मानना है कि अगर होलिका दहन किया जाएगा, तो भगवान शिव के पैर जल जाएंगे। इसलिए यहां होलिका दहन नहीं किया जाता है।
दूसरे गांव में जाती हैं महिलाएं

इस गांव का नाम बरसी है और यहां की महिलाएं होली की पूर्व संध्या पर होलिका दहन करने के लिए बगल के गांव में जाती हैं। गांव में देवाधिदेव महादेव का एक बहुत ही पुराना मंदिर है। मंदिर के बारे में गांव के प्रधान ने बताया कि यह महाभारत जितना पुराना है।
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गांव में है श्रीकृष्ण का वास, शिव के पैर जल जाएंगे

मान्यता के अनुसार मंदिर को पांडवों और कौरवों की ओर से बनाया गया था। ग्रामीणों ने कहा कि कुरुक्षेत्र के युद्ध पर जाते समय भगवान कृष्ण ने इस गांव में आराम किया था और गांव को बृज कहा, तभी से इस गांव का नाम बरसी पड़ा है। गांव के लोगों ने बताया कि ये देश का पश्चिम मुखी शिव मंदिर है। जिसके मुख्य द्वार को भीम ने किसी वजह से अपनी गदा से पूर्व से पश्चिम दिशा में घुमा दिया था।
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तभी से इस मंदिर को पश्चिम मुखी शिव मंदिर कहा जाता है। उन्होंने कहा कि गांव में भगवान शिव आते है और होलिका दहन करने से उनके पैर जल जाएंगे इसलिए इस गांव में होलिका दहन करने की प्रथा नहीं है।

पुरानी परम्परा है, सब करते सम्मान

ग्राम प्रधान आदेश चौधरी ने बताया कि होलिका दहन के लिए सभी महिलाएं बगल के गांव तिक्रोल में जाती हैं। मुझे नहीं पता कि यह अनुष्ठान कब से शुरू हुआ, लेकिन यह काफी समय से ऐसा ही होता आ रहा है। यह एक परंपरा है और सीधे धार्मिक भावनाओं से जुड़ा है। किसी ने भी इसे बदलने की कोशिश नहीं की है। मुझे नहीं लगता कि कोई भी इसे बदलेगा।
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सुबह से शाम तक खेला जाता है रंग

ग्राम प्रधान और ग्रामीणों ने कहा कि रंग खूब खेला जाता है भगवान कृष्ण को बहुत पसंद है लेकिन होलिका दहन और उसकी पूजा नहीं कर सकते हैं। बूढ़े – जवान , महिलाये टोली बनाकर घर घर जाती है और सबको रंग लगाती है। पूरा बरसी गांव धूमधाम से होली का पर्व मनाता है।

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