दूसरे गांव में जाती हैं महिलाएं इस गांव का नाम बरसी है और यहां की महिलाएं होली की पूर्व संध्या पर होलिका दहन करने के लिए बगल के गांव में जाती हैं। गांव में देवाधिदेव महादेव का एक बहुत ही पुराना मंदिर है। मंदिर के बारे में गांव के प्रधान ने बताया कि यह महाभारत जितना पुराना है।
यह भी पढ़ें: Holi Gujiya Recipe: जल्द करें, गरमा- गरम तैयार गुजिया, जानिए आसान तरीका गांव में है श्रीकृष्ण का वास, शिव के पैर जल जाएंगे मान्यता के अनुसार मंदिर को पांडवों और कौरवों की ओर से बनाया गया था। ग्रामीणों ने कहा कि कुरुक्षेत्र के युद्ध पर जाते समय भगवान कृष्ण ने इस गांव में आराम किया था और गांव को बृज कहा, तभी से इस गांव का नाम बरसी पड़ा है। गांव के लोगों ने बताया कि ये देश का पश्चिम मुखी शिव मंदिर है। जिसके मुख्य द्वार को भीम ने किसी वजह से अपनी गदा से पूर्व से पश्चिम दिशा में घुमा दिया था।
यह भी पढ़ें: Shab-E- Barat Advisory: शब-ए-बारात 7 मार्च को, जारी हुई गाइडलाइन, पढ़ कर निकले घर से तभी से इस मंदिर को पश्चिम मुखी शिव मंदिर कहा जाता है। उन्होंने कहा कि गांव में भगवान शिव आते है और होलिका दहन करने से उनके पैर जल जाएंगे इसलिए इस गांव में होलिका दहन करने की प्रथा नहीं है।
पुरानी परम्परा है, सब करते सम्मान ग्राम प्रधान आदेश चौधरी ने बताया कि होलिका दहन के लिए सभी महिलाएं बगल के गांव तिक्रोल में जाती हैं। मुझे नहीं पता कि यह अनुष्ठान कब से शुरू हुआ, लेकिन यह काफी समय से ऐसा ही होता आ रहा है। यह एक परंपरा है और सीधे धार्मिक भावनाओं से जुड़ा है। किसी ने भी इसे बदलने की कोशिश नहीं की है। मुझे नहीं लगता कि कोई भी इसे बदलेगा।
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