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ब्रज की होली एक कहावत है “कोस-कोस पर बदले पानी चार कोस पर वाणी”। इसी तर्ज पर होली का त्यौहार भी देश के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। यूपी के ब्रज क्षेत्र की होली देश और विदेश में विख्यात है। खास तौर पर बरसाना की लट्ठमार होली देखने के लिए देश-विदेश के सैलानी यहाँ पहुंचते हैं। काशी की होली वैसे तो काशी में रंगों की छठा शिवरात्रि के दिन से ही शुरू हो जाती है, लेकिन बाबा की नगरी में एक दिन ऐसा भी रहता है, जब बाबा खुद अपने भक्तों के साथ होली खेलते हैं। होली के चार दिन पहले यहाँ रंगभरी एकादशी के दिन बाबा की मां गौरी के साथ चल प्रतिमा निकलती है। इस दिन महादेव चिता के भस्म की होली खेलते हैं।
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अन्य प्रदेशों की होली मध्य प्रदेश के मालवा अंचल में होली के पांचवें दिन रंगपंचमी मनाई जाती है। ये मुख्य होली से भी अधिक जोर-शोर से मनाई जाती है। हरियाणा में भाभी द्वारा देवर को सताने की परंपरा है। महाराष्ट्र में रंग पंचमी के दिन सूखे गुलाल से खेलने की परंपरा है। दक्षिण गुजरात के आदि-वासियों के लिए होली बहुत बड़ा पर्व है। वहीं छत्तीसगढ़ में इन दिनों लोक-गीतों का प्रचलन है। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त