लखनऊ

अज्ञेय से ज्यादा ज्ञेय लेखक कोई नहीं है- रमेश चन्द्र शाह

अज्ञेय, निर्मल वर्मा एवं रमेश चन्द्र शाह के कथेतर गद्य‘ पर द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी

Jun 26, 2018 / 01:40 pm

Mahendra Pratap

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यशपाल सभागार, हिन्दी भवन में उद्घाटन सत्र ‘अज्ञेय, निर्मल वर्मा एवं रमेश चन्द्र शाह के कथेतर गद्य‘ विषय पर डॉ0 सदानन्दप्रसाद गुप्त, कार्यकारी अध्यक्ष, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान की अध्यक्षता में गोष्ठी का आयोजन किया गया।

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दीप प्रज्वलन, माँ सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्पार्पण के उपरान्त प्रारम्भ हुए कार्यक्रम में वाणी वन्दना संगीतमयी प्रस्तुति पूनम श्रीवास्तव द्वारा की गयी। मंचासीन अतिथियों का उत्तरीय द्वारा स्वागत श्रीनिवास त्रिपाठी, वरिष्ठ वित्त एवं लेखाधिकारी, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान ने किया।

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अभ्यागतों का स्वागत करते हुए श्री श्रीनिवास त्रिपाठी, वरिष्ठ वित्त एवं लेखाधिकारी ने कहा- हिन्दी भाषा के विकास की श्रीवृद्धि में जिन संस्थाओं का विशिष्ट योगदान है, उनमें उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान भी एक है। राष्ट्रभाषा हिन्दी की श्रीवृद्धि और आधुनिक ज्ञान-विज्ञान की माध्यम भाषा हिन्दी को बनाने की दिशा में भी हिन्दी संस्थान उल्लेखनीय भूमिका निभाता रहा है।

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हिन्दी भाषा और साहित्य के समक्ष आज बढ़ी चुनौतियाँ हैं जिनमें सूचना-विज्ञान, प्रौद्योगिकी की भाषित अपेक्षाओं के साथ-साथ भारतीय संस्कृति के मूल तत्त्व को बनाये रखने के लिए कालजयी साहित्य का सृजन करना मुख्य है। राष्ट्रीय एकता और हिन्दी की श्रवृद्धि में साहित्यकारों का विशिष्ट योगदान वर्तमान और भावी पीढ़ी के लिए सदैव प्रेरणादायक रहा है। हिन्दी संस्थान ने आरम्भ से ही जयन्तियों और विचार-गोष्ठियों के आयोजन द्वारा इस भावना को मूर्तरूप देने का प्रयास किया है।

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हिन्दी संस्थान साहित्यिक समारोह योजना के अन्तर्गत अनेक महत्वपूर्ण आयोजन करता है। विश्वास है ‘अज्ञेय, निर्मल वर्मा एवं डॉ0 रमेश चन्द्र शाह‘ के साहित्य पर सार्थक चर्चा होगी और विद्वान वक्ताओं के विचारों से हमारा ज्ञानवर्द्धन होगा।

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