एसओपी के अनुसार, किसी भी आयोजन के दौरान राजपत्रित अधिकारी और स्थानीय मजिस्ट्रेट को प्रभारी नियुक्त किया जाएगा। इसके साथ ही, ड्यूटी पर तैनात सभी पुलिसकर्मियों, पीएसी, सीएपीएफ और अग्निशमन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को समुचित ब्रीफिंग दी जाएगी।
परंपरागत और अन्य आयोजनों में भीड़ प्रबंधन
एसओपी में स्पष्ट किया गया है कि परंपरागत धार्मिक आयोजनों के अलावा, क्रिकेट मैच, मॉल, रेलवे स्टेशन, राजनीतिक पार्टियों के कार्यक्रम और आध्यात्मिक संतों के कार्यक्रमों में भारी भीड़ होती है। इन स्थानों पर भगदड़ की संभावना रहती है। लखनऊ, प्रतापगढ़, वाराणसी, प्रयागराज (इलाहाबाद रेलवे स्टेशन) और हाथरस में इस प्रकार की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं। इसलिए, जिला, कमिश्नरेट, रेंज और जोन स्तर पर एक एकीकृत प्रणाली विकसित की जाएगी। इसमें डीएम, सीएमओ, सिविल डिफेंस, अग्निशमन और स्थानीय पुलिस के सहयोग से नियमित प्रशिक्षण और उपकरणों की देखरेख की जाएगी। पहले से चिह्नित करें अस्पताल
डीजीपी ने निर्देश दिया है कि जिला, कमिश्नरेट, रेंज और जोन स्तर पर सभी राजकीय और निजी अस्पतालों को चिह्नित कर लिया जाए। कार्यक्रम के दृष्टिगत अग्रिम तैयारी करते हुए वरिष्ठ अधिकारियों, स्थानीय मजिस्ट्रेट और अन्य संबंधित विभागीय अधिकारियों के साथ कार्यक्रम स्थल का निरीक्षण कर लिया जाए।
हादसे के बाद क्या करें
एसओपी में किसी भी भगदड़ या आपात स्थिति के दौरान की जाने वाली कार्रवाई का भी जिक्र किया गया है। पीड़ितों को तत्काल चिकित्सकीय सुविधा प्रदान करने के लिए एम्बुलेंस का प्रबंध और ग्रीन कॉरिडोर तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। इस नई एसओपी के माध्यम से, उत्तर प्रदेश पुलिस भीड़ प्रबंधन को अधिक प्रभावी और सुरक्षित बनाने का प्रयास कर रही है। इस कदम से बड़े आयोजनों के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया जा सकेगा, जिससे भविष्य में होने वाली किसी भी अनहोनी को रोका जा सकेगा।