काशी विश्वनाथ गंगा किनारे बसे इस स्थान को महादेव की नगरी कहा जाता है। 12 ज्योतिर्लिंगों में एक बाबा विश्वनाथ धाम में भोलेनाथ को काशी का महाराजा कहा जाता है। वैसे तो यहां प्रतिदिन लाखों भक्त दर्शनों को पहुंचते हैं, लेकिन सोमवार का दिन विशेष होता है। यहां की गंगा आरती न सिर्फ देश बल्कि दुनियाभर में प्रसिद्ध है। मान्यता है कि भगवान शिव के त्रिशूल की नोक पर काशी बसी है और स्वयं भोलेनाथ यहां निवास करते हैं। भगवान शिव ही काशी के पालक व संरक्षक हैं। आप अपने वर्ष की शुरुआत भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद लेकर शुरू कर सकते हैं।
चित्रकूट धाम उत्तर विंध्य क्षेत्र में स्थित इस छोटे से शहर में दर्शनार्थियों की अपार भीड़ पहुंचती है। कामतानाथ स्वामी के दर्शन कर लोग खुद को धन्य मानते हैं। यह धाम वृहद क्षेत्र में स्थित है। इसका कुछ भाग उत्तर प्रदेश के चित्रकूट और कुछ मध्य प्रदेश के सतना में स्थित है। पौराणिक कथाओं और महाकाव्य रामायण के अनुसार अपने देशान्तरण के समय भगवान श्री राम, माता सीता व अनुज लक्ष्मण के साथ 11 वर्षों तक यहीं रुके थे। चित्रकूट की पावन भूमि अनेकों धार्मिक, दर्शनीय स्थलों से भरी पड़ी है। यहां दर्शन करने वाले प्रसिद्ध स्थलों में भगवान कामतानाथ, गुप्त गोदावरी, सती अनुसईया आश्रम, हनुमान धारा, सीता रसोई, राम घाट, कामदगिरि पर्वत, लक्ष्मण पहड़िया और भारत मिलाप मंदिर सहित अनेकों दर्शन स्थल हैं।
श्रीकृष्ण जन्मस्थली-मथुरा भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का केंद्र मथुरा भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली भी है। प्रेम का प्रतीक माने जाने वाले भगवान श्रीकृष्ण की नगरी में वर्षभर देश विदेश से दर्शनार्थी आते रहते हैं। अपनी बांसुरी की धुन से सभी को मोहित कर लेने वाले बंसीधर का जन्म यहां कारागार में हुआ था। यहां कृष्ण जन्मभूमि के अतिरिक्त बांकेबिहारी मंदिर, प्रेम मंदिर, वृंदावन सहित कई स्थल हैं। प्रेममय इस शहर में आने वाले श्रद्धालु कृष्णमय हो जाते हैं। आप भी यहां दर्शन कर अपने नववर्ष की शुरुआत कर सकते हैं।
गोरखनाथ धाम उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में स्थित गुरु गोरखनाथ मंदिर में दर्शनों के लिए देशभर से श्रद्धालु आते है। मकर संक्रांति के अवसर पर प्रतिवर्ष यहां एक माह तक विशाल मेला लगता है। जो खिचड़ी मेला के नाम से प्रसिद्ध है। गोरखनाथ धाम हिन्दू धर्म, दर्शन, अध्यात्म और साधना के अंतर्गत विभिन्न संप्रदायों में नाथ संप्रदाय का प्रमुख स्थान है। मान्यता के अनुसार, सच्चिदानंद शिव के साक्षात रूप श्री गोरक्षनाथ जी यहां आविर्भूत हुए थे। आप भी यहां दर्शन कर अपने नववर्ष की शुरुआत कर सकते हैं।