यह भी पढ़े – राम की नगरी में दीपोत्सव का शुभारंभ करेंगे PM मोदी, सवा लाख दीपों से होगी जगमगाहट गर्भगृह में दक्षिण मुखी हनुमान ये भी जान लीजिए इस धाम की परिकल्पना से लेकर इसे जमीन पर उतारने तक में जिनकी मेहनत है वे तीन भाई हैं-संजय सिन्हा, उदय सिन्हा और विजय सिन्हा। महंत राम सेवक दास कहते हैं कि हमारी चार पीढ़ी इस मंदिर की सेवा में है। इसकी स्थापना गुरु नरसिंह दास ने करवाई थी, जो हमारे गुरु के गुरु थे। नीचे स्थित पूरबमुखी हनुमान सिद्ध पीठ है और मेरी समझ से यह 400 साल पुरानी है। कहते हैं जो भी मांगों पूरा होता है। नए गर्भगृह में दक्षिण मुखी हनुमान पधारे हैं। जिधर देखो उधर हनुमान की मूर्तियां स्थापित है।
सरोवर और नदिया की धारा आपके कदम जिधर भी चल पड़ेंगे, यकीन मानिए आपको हर कहीं, जर्रे-जर्रे में हनुमान के दर्शन होंगे। कहीं शिवलिंग को गले लगाए हनुमान तो कहीं राम कीर्तन में मगन हनुमान हैं। सीढ़ियों से उतरते हुए जब आप नदी किनारे की ओर जैसे ही बढ़ते जाएंगे, चारों तरफ प्रकृति की गोद में बसी एक देव नगरी का अहसास होगा। चलते-चलते थक जाएं या फिर आंख बंद कर ध्यान लगाने की इच्छा हो तो पत्थरों को काटकर बनाए गए स्थान आपको सुरम्य वन जैसा अहसास कराएंगे।
यह भी पढ़े – कश्मीर का रोमांच अब यूपी में, जल्द इस शहर में चलेंगी ‘शिकारा बोट’ और ‘क्रूज’ राजस्थानी कारीगरों ने निखारा पीठाधीश्वर संजय सिन्हा कहते हैं कि मंदिर में बना भगवान भोलेनाथ की नीली मूर्ति मंदिर की आभा कई गुना बढ़ा देती है। हमारी बनाई डिजाइन है, जिसे बनाने में राजस्थानी कारीगरों की मेहनत व हुनर ने कमाल दिखाया है।