लखनऊ का हनुमंत धाम, जहां हर तरफ नजर आते हैं सिर्फ बजरंगबली
लखनऊ में स्थित हनुमंत धाम की स्थापना गुरु नरसिंह दास ने करवाई थी। मंदिर के नए गर्भगृह में दक्षिण मुखी हनुमान पधारे हैं। जिधर देखो उधर हनुमान की मूर्तियां स्थापित है।
लखनऊ का हनुमंत धाम, जहां हर तरफ नजर आते हैं सिर्फ बजरंगबली
मन अशांत हो, प्राकृतिक वातावरण में आंख बंद कर बैठने को व्याकुल हो रहे हैं, ईश्वर भक्ति में लीन होने के लिए शांत माहौल की तलाश हैं तो पहुंच जाएं राजधानी के हनुमंत धाम। शहर के बीचोबीच, बेगम हजरत महल पार्क से मोती महल लॉन की तरफ आते वक्त बीच में हनुमंत धाम का बोर्ड आपको दिख जाएगा। चंद सीढ़ियां, छोटा सा दरवाजा आपको एक बारगी भ्रमित करेगा मंदिर की भव्यता को लेकर, पर अंदर पहुंचने के बाद आपके सारे भ्रम दूर हो जाएंगे और आपका अचंभित होना तय मानिए। चलिए, आपके जाने से पहले हम आपको सैर करवाते हैं हनुमंत धाम की। सैर से पहले एक बात और यहां छोटे-बड़े सब मिलाकर आपको सवा लाख हनुमान जी दिखेंगे जिनका आशीर्वाद आपको मिलेगा।
यह भी पढ़े – राम की नगरी में दीपोत्सव का शुभारंभ करेंगे PM मोदी, सवा लाख दीपों से होगी जगमगाहटगर्भगृह में दक्षिण मुखी हनुमान ये भी जान लीजिए इस धाम की परिकल्पना से लेकर इसे जमीन पर उतारने तक में जिनकी मेहनत है वे तीन भाई हैं-संजय सिन्हा, उदय सिन्हा और विजय सिन्हा। महंत राम सेवक दास कहते हैं कि हमारी चार पीढ़ी इस मंदिर की सेवा में है। इसकी स्थापना गुरु नरसिंह दास ने करवाई थी, जो हमारे गुरु के गुरु थे। नीचे स्थित पूरबमुखी हनुमान सिद्ध पीठ है और मेरी समझ से यह 400 साल पुरानी है। कहते हैं जो भी मांगों पूरा होता है। नए गर्भगृह में दक्षिण मुखी हनुमान पधारे हैं। जिधर देखो उधर हनुमान की मूर्तियां स्थापित है।
सरोवर और नदिया की धारा आपके कदम जिधर भी चल पड़ेंगे, यकीन मानिए आपको हर कहीं, जर्रे-जर्रे में हनुमान के दर्शन होंगे। कहीं शिवलिंग को गले लगाए हनुमान तो कहीं राम कीर्तन में मगन हनुमान हैं। सीढ़ियों से उतरते हुए जब आप नदी किनारे की ओर जैसे ही बढ़ते जाएंगे, चारों तरफ प्रकृति की गोद में बसी एक देव नगरी का अहसास होगा। चलते-चलते थक जाएं या फिर आंख बंद कर ध्यान लगाने की इच्छा हो तो पत्थरों को काटकर बनाए गए स्थान आपको सुरम्य वन जैसा अहसास कराएंगे।
यह भी पढ़े –कश्मीर का रोमांच अब यूपी में, जल्द इस शहर में चलेंगी ‘शिकारा बोट’ और ‘क्रूज’राजस्थानी कारीगरों ने निखारा पीठाधीश्वर संजय सिन्हा कहते हैं कि मंदिर में बना भगवान भोलेनाथ की नीली मूर्ति मंदिर की आभा कई गुना बढ़ा देती है। हमारी बनाई डिजाइन है, जिसे बनाने में राजस्थानी कारीगरों की मेहनत व हुनर ने कमाल दिखाया है।