पंडित रामेश्वर के मुताबिक, हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti) की जाने वाली पूजा विशेष पुण्य देती है। इतना ही नहीं, अगर आपकी कुंडली में शनि की साढ़े साती और ढैय्या का प्रकोप है तो वीर हनुमान की पूजा से राहत मिलेगी, क्योंकि शनिददेव ने हनुमान जी को बचन दिया है कि वह हनुमान भक्तों को परेशान नहीं करेंगे। इसके अलावा हनुमान जयंती पर की गई पूजा आपकी कुंडली से मंगल दोष के प्रभाव को भी कम करती है।
हनुमान जयंती पूजा मुहूर्त (Hanuman Jayanti Shubh Muhurt) – हनुमान जयंती- 27 अप्रैल (मंगलवार) को 2021
– चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि आरम्भ: 26 अप्रैल, दोपहर 12 बजकर 44 मिनट से
– चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि समापन : 27 अप्रैल, रात्रि 9 बजकर 01 मिनट पर
– हनुमान जयंती पर सिद्धि योग शाम 8 बजकर 3 मिनट तक रहेगा
– चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि आरम्भ: 26 अप्रैल, दोपहर 12 बजकर 44 मिनट से
– चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि समापन : 27 अप्रैल, रात्रि 9 बजकर 01 मिनट पर
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हनुमान जयंती पर ऐसे करें पूजा (Hanuman Jayanti Pooja Vidhi)
इस बार कोरोना महामारी के चलते मंदिरों के कपाट बंद हैं। ऐसे में आप घर पर रहकर ही हनुमान जयंती की पूजा करें। पंडित जी बताते हैं कि सुबह स्नान करें। धूप और दीप जलायें। फूल चढ़ाने के बाद फल और मिष्ठान का भोग लगायें। हनुमान जी के सामने निर्मल भाव से हाथ जोडकर बैठ जाएं और कहें, ‘पूजा-जप तप नेम आचारा, नहीं जानत हौं दास तुम्हारा।’ ‘तामस तन कछु साधन नाहीं, प्रीति न पद सरोज मन माहीं’। और भगवान को नमन करें।
Hanuman Jayanti पर जपें यह मंत्र
इसके बाद हनुमान जी की मूर्ति के सामने हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करें। अगर शत्रुओं पर विजय प्राप्त करना चाहते हैं तो बजरंग बाण का पाठ करें। यह भी न कर सकें तो ‘ऊं हं हनुमतये नम:’ मंत्र का जाप करें। वह भी कर सकें तो ‘जय श्रीराम’ का जाप करें। क्योंकि हनुमान जी भगवान राम के अनन्य भक्त हैं और उनकी आराधना से वह बेहद खुश होते हैं। हनुमान जयंती के दिन सिंदूर और घी का ‘चोला’ चढ़ाने से हनुमान जी आसानी से प्रसन्न होते हैं।
इसके बाद हनुमान जी की मूर्ति के सामने हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करें। अगर शत्रुओं पर विजय प्राप्त करना चाहते हैं तो बजरंग बाण का पाठ करें। यह भी न कर सकें तो ‘ऊं हं हनुमतये नम:’ मंत्र का जाप करें। वह भी कर सकें तो ‘जय श्रीराम’ का जाप करें। क्योंकि हनुमान जी भगवान राम के अनन्य भक्त हैं और उनकी आराधना से वह बेहद खुश होते हैं। हनुमान जयंती के दिन सिंदूर और घी का ‘चोला’ चढ़ाने से हनुमान जी आसानी से प्रसन्न होते हैं।
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Hanuman Jayanti पर इन चीजों का लगाएं भोग
रुद्रावतार हनुमान जी को श्रद्धा के साथ कुछ भी अर्पण कर दो, वह खुश हो जाते हैं। लेकिन, लड्डू और तुलसी पत्र उन्हें बहुत प्रिय है। गुड़ और गेहूं की ‘गुड़धनिया’ के अलावा पुओं का भी भोग लगाया जाता है। आइए जानते हैं कि किस राशि के व्यक्ति को कौन सा भोग हनुमान जी को अर्पित करे, ताकि उन्हें विशेष फल की प्राप्ति हो। मेष राशि वाले बेसन के लड्डू, वृष राशि वाले तुलसी के बीज, मिथुन राशि वाले तुलसी दल, कर्क राशि वाले बेसन का हलवा, सिंह राशि वाले जलेबी, तुला राशि वाले मोतीचूर के लड्डू, धनु राशि वाले मोतीचूर के लड्डू के साथ तुलसी दल, मकर राशि वाले मोतीचूर के लड्डू का भोग लगायें। इसके अलावा कुंभ राशि वाले सिंदूर का लेप लगायें, मीन राशि वाले लौंग चढ़ाना चाहिए और कन्या राशि वाले हनुमान जी की प्रतिमा पर चांदी का अर्क लगायें।
वर्ष में दो बार क्यों मनाई जाती है हनुमान जयंती?
Hanuman Jayanti हिंदूओं का त्योहार है। हनुमान जयंती हर वर्ष दो बार मनाई जाती है। एक तिथि को हनुमान जी के जन्मदिवस के तौर पर जबकि दूसरी जयंती विजय अभिनंदन महोत्सव के तौर पर मनाई जाती है। पहली हनुमान जयंती चैत्र महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है और दूसरी हनुमान जयंती कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मंगलवार के दिन मनाई जाती है क्योंकि महर्षि वाल्मीकि ने रामायण में हनुमान जी का जन्म कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को बताया है। उत्तर भारत में चैत्र शुक्ल माह की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाने वाली हनुमान जयंती अधिक लोकप्रिय है।
Hanuman Jayanti हिंदूओं का त्योहार है। हनुमान जयंती हर वर्ष दो बार मनाई जाती है। एक तिथि को हनुमान जी के जन्मदिवस के तौर पर जबकि दूसरी जयंती विजय अभिनंदन महोत्सव के तौर पर मनाई जाती है। पहली हनुमान जयंती चैत्र महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है और दूसरी हनुमान जयंती कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मंगलवार के दिन मनाई जाती है क्योंकि महर्षि वाल्मीकि ने रामायण में हनुमान जी का जन्म कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को बताया है। उत्तर भारत में चैत्र शुक्ल माह की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाने वाली हनुमान जयंती अधिक लोकप्रिय है।