इंफ्लूएंजा में भी कोरोना जैसी दिक्कतें हो रही हैं। ऐसे में पूछा जा रहा है कि क्या ये कोरोना ही तो फिर से नहीं आ गया है। एम्स के प्रोफेसर पीयूष रंजन कहते हैं कि बुखार, खांसी और सांस में दिक्कत जैसे परेशानियां कोरोना और इंफ्लूएंजा दोनों में होती हैं लेकिन ये दो अलग वायरस हैं।
प्रोफेसर पीयूष रंजन के मुताबिक, कोविड में सांस लेने में दिक्कत होती है क्योंकि ये सांस की नली के निचले हिस्से, रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट पर प्रभाव डालता है जबकि H3N2 ऊपरी रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट को डैमेड करता है। दोनों के सिम्टम समान हैं, ऐसे में टेस्ट से ही सही जानकारी मिल सकती है।
सवाल 9ः H3N2 क्या बीमारी है और कैसे फैलती है?
H3N2 इन्फ्लूएंजा वायरस का स्ट्रैन है। H3N2 वायरस को इन्फ्लूएंजा-A वायरस कहा जाता है। वैज्ञानिकों ने पहली बार 1968 में इसकी पहचान की थी। WHO के मुताबिक, H3N2 इन्फ्लूएंजा पक्षियों और दूसरे जानवरों से म्यूटेट होकर इंसानों में फैलता है।
इन्फ्लूएंजा वायरस ज्यादातर बारिश या बदलते हुए मौसम में होता है। ये वायरस सांस के जरिए एक से दूसरे इंसान तक पहुंच जाता है। इससे बीमार व्यक्ति के खांसने, छींकने या फिर बहुत करीब बैठकर बात करने से ये वायरस एक से दूसरे व्यक्ति में पहुंच सकता है।
सवाल 8ः कैसे पता चलेगा कि H3N2 हो गया है?
H3N2 के शुरुआती सिम्टम सर्दी हो जाने जैसे होते हैं। इसमें जुकाम, बुखार, अकड़न होती है। ये परेशानी किसी को है और इससे आगे बढ़कर, उल्टी, शौच के वक्त खून आना और शरीर में दर्द के साथ अगर सांस लेने में भी दिक्कत है तो फिर डॉक्टर के पास जाने में देर नहीं करनी चाहिए। अगर इस तरह की परेशानी है तो ऑक्सीजन लेवल चैक करते करते रहना चाहिए। अगर ऑक्सीजन लेवल लगातार गिर रहा है तो ये H3N2 हो सकता है।
ये वायरस किसी भी उम्र के लोगों को अपनी चपेट में ले सकता है लेकिन बच्चों और बूढ़ों को इससे ज्यादा खतरा है। IMA का कहना है कि कमजोर इम्युनिटी की वजह से बच्चों और बुजुर्गों को ज्यादा रिस्क है। ऐसे में इनके ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल का ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत है। ये अगर 95 प्रतिशत से कम हो जाए तो तुंरत अस्पताल जाना चाहिए।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन IMA ने इस वायरस के बारे में अपनी गाइडलाइन में कहा है कि इस इंफेक्शन में एंटीबायटिक दवाएं नहीं ली जानी चाहिए। IMA ने कहा है कि सामान्य लक्षण होने पर पैरासिटामोल ले सकते हैं। फिर भी परेशानी बनी रहे तो डॉक्टर की सलाह ली जानी चाहिए।
आईसीएमआर ने H3N2 से बचाव के लिए ज्यादातर वही गाइडलाइन बताई हैं, जो कोरोना से बचाव के लिए थीं। इसमें साफ-सफाई का ध्यान रखना, हाथ धोते रहना जरूरी है। साथ ही फेस मास्क लगाकर रखना चाहिए। साथ ही जिन लोगों को ये वायरस हो जाता है, उनको आइसोलेशन में रहना चाहिए।
सवाल 4: इम्युनिटी कैसे बढ़ाएं?
एक्सपर्ट का कहना है कि इम्युनिटी बढ़ाने के लिए हेल्दी खाना खाएं और साथ ही खूब पानी पीए। लक्षण दिखने पर ठंडे की बजाय गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें। साथ ही इसमें बेडरेस्ट भी जरूरी है।
H3N2 वायरस में म्यूटेशन हो सकता है। इसका मतलब ये है कि एक बार अगर कोई संक्रमित हुआ है तो इससे खतरा खत्म नहीं हुआ। एक बार जिसे ये हो चुका वो इंसान दोबारा भी इसकी चपेट में आ सकता है।
सवाल 2: कब जानलेवा होता है ये वायरस?
डॉक्टरों के मुताबिक, समय पर इलाज मिल जाए तो ये इंफेक्शन एक हफ्ते से 10 दिन में ठीक हो जाता है। वायरस जानलेवा हो सकता है अगर इसको नजरअंदाज किया जाए। खासतौर से बच्चे, बूढ़े, कमजोर इम्यूनिटी के लोग, डायबिटीज और दिल के मरीज अगर इसे नजरअंदाज करते हैं और समय से इलाज नहीं मिलता है तो जान भी जा सकती है।
सवाल 1: टेस्ट कैसे होता है?
उत्तर प्रदेश में सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ निजी लैब भी H3N2 की जांच कर रही हैं। इसका टेस्ट के लिए भी कोरोना की तरह नाक और गले से सैंपल लिया जाता है। जांच के बाद रिपोर्ट आती है।