राज्यपाल ने कहा कि भारतीय संस्कृति में प्राचीनकाल से ही संगीत, साहित्य और नाट्य विधाओं का गौरवशाली स्थान रहा है। नाट्य कला मानव-जीवन के विभिन्न पक्षों तथा अनेक सामाजिक बुराइयों को अभिव्यक्ति के माध्यम से दूर करने में अह्म भूमिका का निर्वाह करती है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश एक विशाल सांस्कृतिक क्षेत्र है, जिसकी विविध समृद्ध सांस्कृतिक परम्पराओं के प्रशिक्षण एवं संवर्द्धन की दिशा में अभी बहुत कुछ किया जाना है।
उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि संगीत नाटक अकादमी द्वारा उत्तर प्रदेश में कला के प्रति जागरूकता लाने, नवोदित प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने, विलुप्त हो रही विधाओं के प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन में योगदान दिया जा रहा है। राज्यपाल ने अकादमी अभिलेखागार के अन्तर्गत संग्रहित किये गये समस्त संगीत, नृत्य एवं नाट्य कार्यक्रमों की आडियो-वीडियो हेतु अकादमी को विशेष रूप से बधाई दी।
राज्यपाल ने उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के वर्ष 2009 से 2019 तक के अकादमी पुरस्कार, सफदर हाशमी पुरस्कार, बी0एम0 शाह एवं रत्न सदस्यों सम्मान से सम्मानित किया। राज्यपाल ने संगीत अकादमी के सर्वोच्च सम्मान ‘रत्न सदस्य’ से वर्ष 2009 के लिये वि0व0 श्रीखण्डे, मुम्बई को, वर्ष 2010 के लिये श्री सत्यभान शर्मा, आगरा को, वर्ष 2011 के लिये चितरंजन ज्योतिषी, वाराणसी को, वर्ष 2012 के लिये पं0 राजेश्वर आचार्य, वाराणसी को वर्ष 2013 के लिये मालिनी अवस्थी, लखनऊ को सम्मानित किया।
समारोह को उत्तर प्रदेश के संस्कृति एवं पर्यटन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डाॅ0 नीलकण्ठ तिवारी ने अपने सम्बोधन में कहा कि राष्ट्र की आत्मा संस्कृति है तथा संस्कृति की आत्मा संगीत है। उन्होंने कहा कि 2009 से अब तक लम्बित संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से आज विभिन्न विधाओं के कलाकारों एवं विभूतियों को राज्यपाल द्वारा सम्मानित किया जाना गौरव की बात है।