महानिदेशक परिवार कल्याण के निर्देश
महानिदेशक परिवार कल्याण डॉ. सुषमा सिंह ने सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को पत्र लिखकर प्रदेश के सभी उपकेन्द्रों पर एएनसी क्लीनिक आयोजन की योजना की जानकारी दी है। पत्र के अनुसार, एएनसी क्लीनिक का आयोजन बृहस्पतिवार को सुबह 9 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक किया जाएगा। जिन उपकेन्द्रों पर एएनएम (आशा कार्यकर्ता) बैठती हैं, वहां एएनएम के सहयोग से यह कार्यक्रम होगा, और जहां सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) नियुक्त हैं, वहां उनके सहयोग से यह आयोजन किया जाएगा। इस पहल के माध्यम से गर्भवती महिलाओं को सभी आवश्यक सेवाएं और स्वास्थ्य संबंधी जानकारी प्रदान की जाएगी, जिससे उनकी और उनके बच्चे की सेहत बेहतर हो सके।
महानिदेशक परिवार कल्याण डॉ. सुषमा सिंह ने सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को पत्र लिखकर प्रदेश के सभी उपकेन्द्रों पर एएनसी क्लीनिक आयोजन की योजना की जानकारी दी है। पत्र के अनुसार, एएनसी क्लीनिक का आयोजन बृहस्पतिवार को सुबह 9 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक किया जाएगा। जिन उपकेन्द्रों पर एएनएम (आशा कार्यकर्ता) बैठती हैं, वहां एएनएम के सहयोग से यह कार्यक्रम होगा, और जहां सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) नियुक्त हैं, वहां उनके सहयोग से यह आयोजन किया जाएगा। इस पहल के माध्यम से गर्भवती महिलाओं को सभी आवश्यक सेवाएं और स्वास्थ्य संबंधी जानकारी प्रदान की जाएगी, जिससे उनकी और उनके बच्चे की सेहत बेहतर हो सके।
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एएनसी क्लीनिक पर मिलने वाली सेवाएं
गर्भावस्था का पंजीकरण और जांचेंगर्भवती महिला का पंजीकरण और उसकी स्वास्थ्य जांचों का आयोजन किया जाएगा। इसमें आयरन, फोलिक एसिड (आईएफए), कैल्शियम, और एल्बेंडाजोल की गोलियों का वितरण किया जाएगा। इन गोलियों के सेवन के लाभ और सही तरीका भी बताया जाएगा। साथ ही, टिटनेस और डिप्थीरिया के टीकों के लाभ के बारे में महिलाओं को जानकारी दी जाएगी और इन टीकों का प्रशासन भी किया जाएगा।
शारीरिक जांचें
एएनसी क्लीनिक में महिलाओं की शारीरिक जांच भी की जाएगी, जिसमें पेशाब की जांच, हीमोग्लोबिन की जांच, एचआईवी, हेपेटाइटिस बी और सिफलिस की जांच, ब्लड शुगर, गर्भ में शिशु की स्थिति, वृद्धि और दिल की धड़कन की जांच की जाएगी।
एएनसी क्लीनिक में महिलाओं की शारीरिक जांच भी की जाएगी, जिसमें पेशाब की जांच, हीमोग्लोबिन की जांच, एचआईवी, हेपेटाइटिस बी और सिफलिस की जांच, ब्लड शुगर, गर्भ में शिशु की स्थिति, वृद्धि और दिल की धड़कन की जांच की जाएगी।
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उच्च जोखिम की गर्भावस्था की पहचानयदि किसी महिला को उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था की स्थिति का सामना करना पड़ता है, तो उसे उच्च स्वास्थ्य केन्द्रों पर भेजने की व्यवस्था की जाएगी। इसके अलावा, उच्च स्वास्थ्य इकाई पर जाने से पहले टेली कंसल्टेंसी (दूरभाष पर परामर्श) की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी।
स्वास्थ्य संबंधी सलाह
गर्भवती महिलाओं को दवाओं के सेवन के प्रतिकूल प्रभाव के बारे में बताया जाएगा। इसके साथ ही, गर्भावस्था और प्रसवोत्तर देखभाल, पौष्टिक आहार, आराम, खतरे के लक्षणों की पहचान, संस्थागत प्रसव और घर पर प्रसव के फायदे-नुकसान के बारे में भी जानकारी दी जाएगी।
गर्भवती महिलाओं को दवाओं के सेवन के प्रतिकूल प्रभाव के बारे में बताया जाएगा। इसके साथ ही, गर्भावस्था और प्रसवोत्तर देखभाल, पौष्टिक आहार, आराम, खतरे के लक्षणों की पहचान, संस्थागत प्रसव और घर पर प्रसव के फायदे-नुकसान के बारे में भी जानकारी दी जाएगी।
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मानसिक स्वास्थ्य और शिशु देखभालगर्भवती महिला का मानसिक स्वास्थ्य भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसका सीधा प्रभाव शिशु पर पड़ता है। इसके साथ ही, प्रसवपूर्व तैयारी, प्रसव सहायक की पहचान, बच्चे और घर के अन्य सदस्यों की देखभाल के लिए व्यक्ति की पहचान, परिवहन की वैकल्पिक व्यवस्था जैसी महत्वपूर्ण बातें भी कवर की जाएंगी।
स्तनपान और टीकाकरण
गर्भवती महिलाओं को शीघ्र और छह महीने तक केवल स्तनपान कराने की सलाह दी जाएगी। इसके अलावा, नवजात शिशु की देखभाल और टीकाकरण के बारे में भी जानकारी दी जाएगी। गर्भावस्था की देखभाल और मातृ मृत्यु दर
महत्वपूर्ण बात यह है कि गर्भवती महिलाओं की सही देखभाल से मातृ मृत्यु दर को कम किया जा सकता है। एसआरएस (सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे) के अनुसार, भारत की मातृ मृत्यु दर 103 है, जबकि उत्तर प्रदेश में यह दर 167 है। इसका मतलब है कि प्रदेश में मातृ मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है। इस स्थिति को सुधारने के लिए समय रहते गर्भवती महिलाओं का पंजीकरण और सही देखभाल आवश्यक है।
गर्भवती महिलाओं को शीघ्र और छह महीने तक केवल स्तनपान कराने की सलाह दी जाएगी। इसके अलावा, नवजात शिशु की देखभाल और टीकाकरण के बारे में भी जानकारी दी जाएगी। गर्भावस्था की देखभाल और मातृ मृत्यु दर
महत्वपूर्ण बात यह है कि गर्भवती महिलाओं की सही देखभाल से मातृ मृत्यु दर को कम किया जा सकता है। एसआरएस (सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे) के अनुसार, भारत की मातृ मृत्यु दर 103 है, जबकि उत्तर प्रदेश में यह दर 167 है। इसका मतलब है कि प्रदेश में मातृ मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है। इस स्थिति को सुधारने के लिए समय रहते गर्भवती महिलाओं का पंजीकरण और सही देखभाल आवश्यक है।
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डॉ. मालविका मिश्रा की रायमहिला एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. मालविका मिश्रा का मानना है कि गर्भवती महिलाओं को जितना जल्दी पंजीकरण कराना चाहिए और जितनी जल्दी स्वास्थ्य केंद्रों में जाकर अपनी जांचें करवानी चाहिए, उतना ही बेहतर होगा। इससे गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समय रहते निदान हो सकता है और किसी भी अनहोनी को रोका जा सकता है।
कार्यक्रम का उद्देश्य और महत्व
हर बृहस्पतिवार को आयोजित होने वाले एएनसी क्लीनिक का मुख्य उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को सही समय पर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराना है। यह कार्यक्रम प्रदेश में मातृ मृत्यु दर को कम करने और गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य देखभाल को बेहतर बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
हर बृहस्पतिवार को आयोजित होने वाले एएनसी क्लीनिक का मुख्य उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को सही समय पर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराना है। यह कार्यक्रम प्रदेश में मातृ मृत्यु दर को कम करने और गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य देखभाल को बेहतर बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
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एएनसी क्लीनिक का महत्वस्वस्थ मातृत्व: गर्भवती महिलाओं को समय पर स्वास्थ्य जांच और आवश्यक सलाह देने से मातृ मृत्यु दर को कम किया जा सकता है।
सामुदायिक स्वास्थ्य में सुधार: इस पहल से ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में भी बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध होंगी।
समय पर उपचार: उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था की पहचान करके समय रहते उपचार और संदर्भित किया जा सकेगा।
मानसिक स्वास्थ्य: गर्भवती महिलाओं को मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित परामर्श भी दिया जाएगा, जिससे उनका और उनके शिशु का मानसिक विकास बेहतर हो सके।