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मेकिंग चार्जेंज में नेगोशियेशन जरूरी-पैसा कमाने के लिए ज्वैलर्स कभी-कभी कुछ ज्यादा ही मेकिंग चार्जेज मांगते हैं। अलग-अलग ज्वेलर्स मेकिंग चार्जेज के रूप में अलग-अलग रकम वसूलते हैं। आमतौर पर मेकिंग चार्जेज सोने के मूल्य का लगभग 4% से 20% ही होता है। लेकिन कुछ ज्वैलर्स 40% तक चार्ज भी लेते हैं। इसके सबसे बड़ा नुकसान ग्राहक को तब होता है जब वह दोबारा सुनार के पास उसे बेचने जाता है। तो मेकिंग चार्जेस पर तोलमोल जरूर करें।
आभूषण में नग का वजन अलग से कराएं- ग्राहक जब भी नग जड़े सोने के आभूषण खरीदें, तो वह ध्यान दें कि सोने का वजन अलग और उसमें जड़ने वाले रत्न के वजन अलग कर उसकी वैल्यू करे। क्योंकि ज्वैलर्स दोनों को एक साथ जोड़ते हुए उसका वजन करते हैं और सोने के भाव के हिसाब से उसकी कीमत लगाते हैं। आभूषण में लगने वाले रत्न बेहद ही सस्ते होते हैं। जब्कि सोने के भाव तो ज्यादा होते ही हैं। यदि ग्राहक ऐसे नहीं करेंगे तो वापस सुनार को बेचते वक्त उसे भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। क्योंकि उस वक्त सुनार, रत्न को हटाकर आभूषण का वजन करते हैं और उस हिसाब से उसकी कीमत लगाते हैं।
ये भी पढ़ें- 35 वाला पेट्रोल लखनऊ में बिक रहा 90 रुपए प्रति लीटर, यह है मामला सफाई कराने से पहले व बाद में वजन जरूर कराएं आभूषण- ग्राहक अपने सोने के गहने ज्वैलर्स को साफ करने के लिए देते हैं। लेकिन, यह हमेशा सुरक्षित नहीं होता है क्योंकि कई ज्वैलर्स सोने की सफाई करते समय ग्राहकों को धोखा देते हैं। आभूषणों को एसिड के घोल में डालकर साफ किया जाता है। जब सोने को एसिड में डाला जाता है, तो सोने के कण घुल जाते हैं। यदि आप सफाई से पहले और बाद में गहने पहनते हैं, तो आप वजन में कुछ अंतर पा सकते हैं। ऐसे में सफाई से पहले और बाद में ग्राहक अभूषणों का वजन जरूर कर ले।
शुद्धता जरूर परखें- कुछ ज्वैलर्स ग्राहकों को विशुद्धता में भी धोखा दे देते हैं। सोने की शुद्धता की जांच कैरेट के जरिए की जाती है। 24 कैरेट सोने को सोने का सबसे शुद्ध रूप माना जाता है। लेकिन इसकी ज्वैलरी नहीं बनती है, क्योंकि ये बेहद मुलायम होता है। वहीं 22 कैरेट सोना, सोने के 22 भागों और जिंक व कॉपर जैसे दो भागों को मिलाकर बनता है। ज्यादा इसकी मांग होती है। वहीं 18 कैरेट सोना और इससे नीचे की कैटिगरी का सोना भी मिलता है। आमतौर पर, जौहरी उच्च दर पर कम कैरेट वाला सोना बेचकर ग्राहकों को धोखा देते हैं। जैसे 22 कैरेट सोने की कीमत में 18 कैरेट सोने की बिक्री करते हैं। ऐसे जो भी आभूषण हो उसके कैरेट की जांच जरूर करें।
पारदर्शी बिल की मांग करें-
बिल पारदर्शी होना बहुत जरूरी है। मतलब किसी आभूषण के बिल में यह जरूर लिखा हो कि सोना कितने कैरेट का है, उसकी कीमत, जीएसटी कितना लगा है, आभूषण में जड़े नग कितने के हैं, मेकिंग चार्जेज कितना है। टोटल बिल का ब्रेक-अप होगा तो दोबारा बेचने में कोई परेशानी नहीं होगी।