उन्होंने बताया कि कोविड की संभावित तीसरी लहर से बचने के लिए हम सभी को अपनी और अपने बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी बनाए रखने की आवश्यकता है। इसके लिए विटामिन ए काफी मददगार साबित हो सकता है। यह वसा में घुलनशील विटामिन है और यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी मदद करता है। डा.सलमान ने कहा – विटामिन ए पीले लाल और हरे फलों तथा सब्जियों में पाया जाता है इसलिए आम, पपीता, गाजर , पालक आदि के सेवन जरूर करें और इन्हें अपने भोजन में शामिल करें । इसके साथ ही बच्चों को भी इनका सेवन कराना सुनिश्चित करें । सीएनएनएस के वर्ष 2016-18 की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में एक से चार वर्ष तक के 16.9 प्रतिशत बच्चे विटामिन ए की कमी से ग्रस्त हैं।
डा. सलमान ने बताया- एनीमिया रोग, रोग प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर होना, आंखों की रोशनी काम होना, अंधापन होना, आंखों में आंसू न बनना, रूखी त्वचा हो जाना और मुंह में छाले, दस्त जैसी समस्या होना। विटामिन ए की कमी से एनीमिया रोग, प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर होना, आंखों की रोशनी कम होना, अंधापन, आंखों में आंसू न बनना, रूखी त्वचा हो जाना, मुंह में छाले और दस्त जैसी समस्या हो सकती है।
बाल स्वास्थ्य पोषण माह हर वर्ष जून और दिसंबर में मनाया जाता है। इस दौरान अभियान चलाकर नौ माह से पांच वर्ष तक के बच्चों विटामिन ए की खुराक दी जाती है। नौ माह से 12 माह तक बच्चों को नियमित टीकाकरण के दौरान एमआर के प्रथम टीके के साथ एक मिलीलीटर (एमएल) विटामिन ए की खुराक पिलाई जाती है। जबकि 16 माह से 24 माह के बच्चों को एमआर के दूसरे टीके के साथ दो एमएल देनी होती है। हर छह माह पर बाल स्वास्थ्य पोषण माह के दौरान दो वर्ष से पांच वर्ष तक की आबादी को दो एमएल पिलाई जाती है।