गरुड़ पुराण में लिखा है कि जो व्यक्ति दोस्त की स्त्री के साथ बलात्कार करता है, वह अगले जन्म में ग धा बनता है। नाबालिग से दुष्कर्म करने वाले अगले जन्म में अजगर की योनि में जन्म लेते हैं। गुरु पत्नी संग सहवास की इच्छा रखने वाला पापी अगले जन्म में गिरगिट बनता है। सगोत्र की स्त्री संग व्यभिचार करने वाला कामुक व्यक्ति मरु प्रदेश में पिशाच बनकर भटकता है। राजपत्नी के साथ गमन करने वाला ऊंट बनता है। रोगी के बलात्कार करने वाला युवक अगले जन्म में नपुंसक होता है। कुकर्म करने वाला व्यक्ति अगले जन्म में सु अर की योनि में जन्म लेता है। स्त्री को चोट पहुंचाने वाला या फिर गर्भपात कराने वाला व्यक्ति अगले जन्म में भिल्ल बनता है।
सास को गाली देने वाली नित्य कलह करने वाली स्त्री अगले जन्म में जलोका होती है। जो स्त्री अपने पति के बजाय पर पुरुष का सेवन करती है, वह स्त्री अगले जन्म में चमगादड़ी बनकर पेड़ों पर लटकी रहती है। बाद में उसे दोमुखी सर्पिणी की योनि में जन्म मिलता है।
जो पुरुष द्वेष देखकर पत्नी को छोड़ देता है, वह लंबे समय तक चक्रवाक पक्षी बनकर रहता है। पिता गुरु, बहन और अपने सगे-संबंधियों से द्वेष रखने वाला हजारों जन्म तक पर्वत के गर्भ में पाता है।
दूसरे की पत्नी को चुराने वाला, किसी की धरोहर को अपहरण करने वाला ब्राह्मण के धन को हड़पने वाला नरक के दुख भोगने के बाद ब्रम्हराक्षस की योनि में जाता है। कपट से प्रेम रखकर ब्राह्मण के धन को लूटने वाले के कुल का नाश चंद्रमा और तारागण के रहने तक होता है।
तांबूल, फल तथा फूल आदि की चोरी करने वाला अगले जन्म में में बंदर बनता है। जूता, घास और कपास को चुराने वाला अगले जन्म में भेड़िया बनता है। जो क्रूर कर्मों से आजीविका चलाता है। मार्ग में यात्रियों को लूटता है और जो निर्दोष जानवरों का शिकार करता है,वह कसाई का बकरा बनता है।
– हरे-भरे वन, जंगल, फसल और पेड़-पौधों को काटना और प्रकृति के नये जन्म का विनाश करना
– किसी विधवा की पवित्रता को नष्ट करना या किसी मर्द से शादी की सीमा को लांघ कर संबंध बनाना
– पत्नी और बच्चों की ज़रूरतों को अनदेखा करना
– पूर्वज़ों की उपेक्षा करना
– भगवान शिव , विष्णु, सूर्य , गणेश और दुर्गा जी का सम्मान नहीं करना
– महिला की इज़्ज़त लूटने के इरादे से उसे शरण देना
– आग, पानी, बगीचे या गौशाला में मलमूत्र का त्याग करना