नेहरू से पहली मुलाकात- आपको शायद ही पता होगा कि देश के पहले प्रधानमंत्री पण्डित जवाहर लाल नेहरू की बापू से पहली मुलाकात लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन में हुई थी। महात्मा गांधी 26 दिसम्बर 1916 को पहली बार लखनऊ आए थे और मौका था कांग्रेस के अधिवेशन का जिस दौरान वह पांच दिनों तक शहर में रहे। महज कुछ ही क्षणों की मुलाकात में पण्डित जी बापू के विचारों से काफी प्रभावित हुए थे। इन दो महान विभूतियों की मुलाकात बिल्कुल साधारण रही। जवाहर लाल नेहरू अपने पिता मोती लाल नेहरू के साथ थे जब उन्होंने पहली बार बापू को नजदीक से देखा। बापू कांग्रेस के अधिवेशन में हिस्सा लेने पहुंचे थे और उसी दौरान मोती लाल नेहरू, जवाहर लाल नेहरू व सैय्यद महमूद ने एक साथ लोगों को सम्बोधित किया। यही वह अवसर था जब पण्डित नेहरू ने बापू के साथ मिलकर देश की आजादी के लिए संघर्ष करने का निर्णय लिया था।
गोखले मार्ग पर आज भी लगा है बापू का पेड़- गोखले मार्ग पर आज भी बापू का लगाया हुआ पेड़ आप देख सकते हैं। वैसे तो वो दर्जनों बार लखनऊ आ चुके थे, लेकिन आजादी के कुछ साल पहले वह दोबारा यहां आए थे। इस दौरान वह कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष शीला कौल के घर भी गए थे। वहां बापू ने अपने हाथों से एक पौधा लगाया था, जो आज भी अपनी जगह टिका हुआ है और लहलहाता रहता है।
अमीनाबाद में महिलाओं के लिए बनवाया था पार्क 20 अक्टूबर 1920 का वह ऐतिहासिक दिन था, जब महात्मा गांधी अमीनाबाद के जनाना पार्क में आए थे। उनके आने का मकसद असहयोग आंदोलन को लेकर शहरवासियों को जगाना था। इसके लिए उन्होंने सबसे पहले लखनऊ की महिलाओं को जनाना पार्क में संबोधित किया। उस वक्त इस पार्क में मौलवीगंज और आसपास की महिलाएं टहलने के लिए आया करती थीं। बाद में इस पार्क को महिलाओं की आजादी की जंग को लेकर होने वाली बैठकों के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा। इसके बाद महात्मा गांधी अमीनाबाद के गूंगे नवाब बाग में सभा करने पहुंचे। उनके साथ मुहम्मद और शौकत अली भी थे। यही नहीं, अमीनाबाद में गंगा प्रसाद मेमोरियल हॉल भी स्वतंत्रता आंदोलन का प्रमुख केंद्र था। यहां पर भी स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े लोगों का आना जाना लगा रहता था। इसके साथ ही बापू के ही कहने पर ही गंगा प्रसाद ने अमीनाबाद में महिलाओं के लिए झंडे वाला पार्क बनवाया था। यहां के झंडे वाले पार्क में भी बापू ने काफी समय बिताया था।