कन्नौज का इत्र और लखनऊ की चिकनकारी के सामान को चुना
दिल्ली की टीम ने कन्नौज के इत्र और लखनऊ की चिकनकारी के सामान को चुना है। विदेशी मेहमानों को यही दोनों गिफ्ट में दिए जाएंगे। इन दोनों प्रोडक्ट का मुगल बादशाह जहांगीर की बेगम नूरजहां से है पुराना रिश्ता है। नूरजहां ईरान से चिकनकरी की कला देखकर भारत आई थीं। उनको ये बड़ा पसंद आ गया था।
दिल्ली की टीम ने कन्नौज के इत्र और लखनऊ की चिकनकारी के सामान को चुना है। विदेशी मेहमानों को यही दोनों गिफ्ट में दिए जाएंगे। इन दोनों प्रोडक्ट का मुगल बादशाह जहांगीर की बेगम नूरजहां से है पुराना रिश्ता है। नूरजहां ईरान से चिकनकरी की कला देखकर भारत आई थीं। उनको ये बड़ा पसंद आ गया था।
नूरजहां के चलते लखनवी चिकनकारी हुई पॉपुलर
भारत लौटकर उन्होंने अपने पति से वैसे कपड़े बनवाने को कहा। तब चिकनकारी पूरे कपड़ों में न करके सिर्फ टोपी, दुपट्टे या छोटे-छोटे कपड़ों में की जाती थी। लेकिन नूरजहां के चलते लखनवी चिकनकारी इतनी पॉपुलर हो गई कि आज विदेशी मेहमानों को गिफ्ट की जा रही है।
भारत लौटकर उन्होंने अपने पति से वैसे कपड़े बनवाने को कहा। तब चिकनकारी पूरे कपड़ों में न करके सिर्फ टोपी, दुपट्टे या छोटे-छोटे कपड़ों में की जाती थी। लेकिन नूरजहां के चलते लखनवी चिकनकारी इतनी पॉपुलर हो गई कि आज विदेशी मेहमानों को गिफ्ट की जा रही है।
कपड़ों में चिकन शब्द यूज करने की वजह ये है कि फारसी शब्द ‘चाकिन’ का मतलब कपड़े पर बेलबूटे की कशीदाकारी और कढ़ाई करना होता है। भारत में आकर ‘चाकिन’ चिकन बन गया। अब गिफ्ट में दिया जाएगा। जानते हैं गिफ्ट में कैसा चिकन होगा?
लखनऊवी चिकन में महीन कपड़े पर सुई-धागे से टांकों से डिजाइन बनती है
लखनऊ चिकन में महीन कपड़े पर सुई-धागे से टांकों से डिजाइन बनती है। इसमें करीब 40 तरह के टांके और जालियां होती हैं। जैसे- मुर्री, फनदा, कांटा, तेपची, पंखड़ी, लौंग जंजीरा, बंगला जाली, मुंदराजी जाजी, सिद्दौर जाली, बुलबुल चश्म जाली आदि।
लखनऊ चिकन में महीन कपड़े पर सुई-धागे से टांकों से डिजाइन बनती है। इसमें करीब 40 तरह के टांके और जालियां होती हैं। जैसे- मुर्री, फनदा, कांटा, तेपची, पंखड़ी, लौंग जंजीरा, बंगला जाली, मुंदराजी जाजी, सिद्दौर जाली, बुलबुल चश्म जाली आदि।
कन्नौज की मिट्टी से भी बनाया जाता है इत्र
अब कन्नौज का इत्र। अभी तक आपने फूलों से परफ्यूम और इत्र बनाने के बारे में सुना होगा। लेकिन कन्नोज में कुछ जगहों पर मिट्टी भी इतनी खुशबूदार है कि उससे भी इत्र बनाया जाता है।
अब कन्नौज का इत्र। अभी तक आपने फूलों से परफ्यूम और इत्र बनाने के बारे में सुना होगा। लेकिन कन्नोज में कुछ जगहों पर मिट्टी भी इतनी खुशबूदार है कि उससे भी इत्र बनाया जाता है।
फारसी कारीगरों से कन्नौज को इत्र बनाने का नुस्खा मिला
कन्नौज को इत्र बनाने का ये नुस्खा फारसी कारीगरों से मिला था। जिन्हें मुगल बेगम नूरजहां ने बुलाया था। कारीगरों ने गुलाब के फूलों के साथ कई चीजों से इत्र बनाने शुरू किया। उसकी अलग ही खुशबू बनी। तब से आज तक पूरी दुनिया में इसका तोड़ नहीं है।
कन्नौज को इत्र बनाने का ये नुस्खा फारसी कारीगरों से मिला था। जिन्हें मुगल बेगम नूरजहां ने बुलाया था। कारीगरों ने गुलाब के फूलों के साथ कई चीजों से इत्र बनाने शुरू किया। उसकी अलग ही खुशबू बनी। तब से आज तक पूरी दुनिया में इसका तोड़ नहीं है।
कन्नौज के सबसे कीमती इत्र अदर ऊद हैं
कन्नौज के सबसे कीमती इत्र अदर ऊद हैं, जिसे असम की एक विशेष लकड़ी ‘आसामकीट’ से बनाते हैं। साथ ही यहां के जैसमिन, खस, कस्तूरी, चंदन और मिट्टी अत्तर से भी इत्र बनते हैं।
कन्नौज के सबसे कीमती इत्र अदर ऊद हैं, जिसे असम की एक विशेष लकड़ी ‘आसामकीट’ से बनाते हैं। साथ ही यहां के जैसमिन, खस, कस्तूरी, चंदन और मिट्टी अत्तर से भी इत्र बनते हैं।
मिट्टी से उठने वाली खुशबू को बेस ऑयल के साथ मिक्स करके इत्र बनाया जाता है
कन्नौज के इत्र की सबसे खास बात मिट्टी वाला इत्र है। जब बारिश की बूंदें इस मिट्टी पर पड़ती हैं तो इसमें से एक खास खुशबू आने लगती है। जिस मिट्टी से इत्र बनाते है उस मिट्टी को तांबे के बर्तनों में पकाया जाता है। इस मिट्टी से उठने वाली खुशबू को बेस ऑयल के साथ मिक्स करके इत्र बनाया जाता है।
कन्नौज के इत्र की सबसे खास बात मिट्टी वाला इत्र है। जब बारिश की बूंदें इस मिट्टी पर पड़ती हैं तो इसमें से एक खास खुशबू आने लगती है। जिस मिट्टी से इत्र बनाते है उस मिट्टी को तांबे के बर्तनों में पकाया जाता है। इस मिट्टी से उठने वाली खुशबू को बेस ऑयल के साथ मिक्स करके इत्र बनाया जाता है।
कन्नौज के इत्र से इलाज भी किया जाता है
कन्नौज का बना इत्र पूरी तरह नेचुरल है। एल्कोहल बिल्कुल भी नहीं होता है। इसी वजह से कुछ रोगों जैसे नींद न आना, एंग्जाइटी और स्ट्रेस आदि में यहां के इत्र की खुशबू रामबाण इलाज मानी जाती है।
कन्नौज का बना इत्र पूरी तरह नेचुरल है। एल्कोहल बिल्कुल भी नहीं होता है। इसी वजह से कुछ रोगों जैसे नींद न आना, एंग्जाइटी और स्ट्रेस आदि में यहां के इत्र की खुशबू रामबाण इलाज मानी जाती है।