राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने अपने संगठनात्मक ढांचे को देखते हुए धन संग्रह अभियान के लिए पूरे देश को 44 प्रांतों में बांटा है, जिनमें सर्वाधिक छह बृज, मेरठ, कानपुर, अवध, काशी और गोरक्ष प्रांत उत्तर प्रदेश हैं। इनमें भी सबसे अधिक फोकस अवध, काशी और मेरठ पर है। राम मंदिर के लिए धन संग्रह अभियान के तहत प्रदेश के 1.35 करोड़ परिवारों से 100-100 रुपए और 44 लाख परिवारों से 10-10 रुपए चंदे के तौर पर लिए जाएंगे। यूपी के कुल 1.79 करोड़ परिवारों के तकरीबन 8.95 करोड़ सदस्यों (प्रति परिवार 5 सदस्य का औसत) को राम मंदिर से जोड़ने का लक्ष्य है।
ऐसे जुटाए जाएंगे 7 अरब रुपए
राम मंदिर के लिए देश भर से सात अरब से अधिक रुपये जुटाने की कार्ययोजना तैयार हो गई है। धन संग्रह अभियान के तहत 100-100 रुपए के कूपन से 6 अरब 88 करोड़ 52 लाख 50 हजार रुपए और 10-10 के कूपन से 24 करोड़ 92 लाख 50 हजार रुपए जुटाये जाएंगे। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण धन संग्रह अभियान के तहत कुल 07 अरब 13 करोड़ 45 लाख रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा गया है। विहिप और आरएसएस के पदाधिकारियों को राम मंदिर धन संग्रह अभियान के लिए विस्तृत कार्ययोजना बनाने का निर्देश दिया गया है।
राम मंदिर के लिए देश भर से सात अरब से अधिक रुपये जुटाने की कार्ययोजना तैयार हो गई है। धन संग्रह अभियान के तहत 100-100 रुपए के कूपन से 6 अरब 88 करोड़ 52 लाख 50 हजार रुपए और 10-10 के कूपन से 24 करोड़ 92 लाख 50 हजार रुपए जुटाये जाएंगे। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण धन संग्रह अभियान के तहत कुल 07 अरब 13 करोड़ 45 लाख रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा गया है। विहिप और आरएसएस के पदाधिकारियों को राम मंदिर धन संग्रह अभियान के लिए विस्तृत कार्ययोजना बनाने का निर्देश दिया गया है।
समाज का मंदिर बनाने का संकल्प
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर कार्यवाह भैया जी जोशी ने कहा कि राम मंदिर सरकार का नहीं समाज का होगा। हम सबको इसके लिए एकजुट होकर प्रयास करना चाहिए। ऐसी कोशिश हो कि एक भी रुपये सरकार से नहीं लेना पड़े। जब समाज के लोग कमर कसकर अपनी प्रतिबद्धता जताएंगे व आर्थिक सहयोग करेंगे तभी श्रीराम का काम पूरा होगा। इसी से जन-जन के राम की अवधारणा भी फलीभूत होगी।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर कार्यवाह भैया जी जोशी ने कहा कि राम मंदिर सरकार का नहीं समाज का होगा। हम सबको इसके लिए एकजुट होकर प्रयास करना चाहिए। ऐसी कोशिश हो कि एक भी रुपये सरकार से नहीं लेना पड़े। जब समाज के लोग कमर कसकर अपनी प्रतिबद्धता जताएंगे व आर्थिक सहयोग करेंगे तभी श्रीराम का काम पूरा होगा। इसी से जन-जन के राम की अवधारणा भी फलीभूत होगी।