फर्जी स्कूलों के खिलाफ फिर चलेगा अभियान, जानिए नई नीति
अस्पताल के बाल रोग विभाग में 34 बेड है। दोपहर तक बाल वार्ड-तीन में भर्ती ज्यादातर बच्चों के परिजनों का कहना था कि उनके बेड की चादर बुधवार से नहीं बदली गई है, जबकि न्यू बिल्डिंग समेत कई वार्डों में मरीजों के बेड की चादर सुबह से बदली जा चुकी थी। इसके लिए उन्होंने कई बार कर्मचारियों से कहा लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। जब दोपहर हुआ तो कई मरीजों ने हंगामा शुरू कर दिया। लेकिन कर्मचारियों ने चादर की कमी बताकर उन्हें शांत करा दिया।यूपी विधानसभा का शीतकालीन सत्र जल्द
इसके साथ ही उन्होंने कड़े तेवर में कहा कि अगर ज्यादा सुविधा चाहिए, तो प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराइए। ऐसी स्थिति में मासूम बच्चों के परिजन समझ गये कि कुछ भी बोलने पर मतलब अपना ही नुकसान करना है। वार्ड में बरामदा है यहां भर्ती एक बच्चे के परिजन बेड की सफेद चादर दिखाते हुए कहने लगे कि सोमवार से चादर नहीं बदल गयी है, मरीज में संक्रमण फैल सकता है लेकिन यह शिकायत किससे कहने जाएं, कोई सुनने वाला नहीं है।नहीं बदली चादर तो होगी जांच: निदेशक डॉ. एके सिंह अस्पताल में चादरों की धुलाई का जिम्मा एक निजी कम्पनी को दिया गया है। इसके एवज में अस्पताल की तरफ से अच्छा खासा बजट भी दिया जाता है। लॉन्ड्री से समय पर चादरें धुल कर नहीं आती हैं। इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। नाम न छापने की शर्त पर कर्मचारियों ने बताया कि हर दिन अलग-अलग रंग की चादर बिछाई जाती है। सोमवार को सफेद, मंगलवार को पिंक और बुधवार को नीले रंग की चादर मरीजों के बेड पर बिछाई जाती है। अस्पताल के निदेशक डॉ. एके सिंह ने बताया कि बेड के लिए चादरों की कोई कमी नहीं है, बच्चों के वार्ड में चादरें क्यों नहीं बदलती गयी, इसकी पड़ताल करेंगे।–