आकाश सक्सेना ने दो इतिहास रचा। पहला पहली बार कोई गैर मुस्लिम विधायक बना। दूसरा इस सीट पर पहली बार कमल खिला। यह सीट भाजपा को आसानी से नहीं मिली। इसके लिए उसने दांव-पेच लगाए।
इसके लिए उसने सबसे पहले 13 नवंबर को पसमांदा मुस्लिमों का सम्मेलन कराया। जिसमें डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक से लेकर पूर्व कैबिनेट मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी तक पहुंचे। उन्होंने पसमांदा मुस्लिमों को विश्वास दिलाया।
इसके लिए तीन दिनों तक मुख्तार अब्बास नकवी रामपुर में रुके और घर-घर जाकर लोगों को विश्वास दिलाया कि भाजपा मुस्लिमों के साथ है। उनका विश्वास जीता। आजम खां के पूर्व मीडिया प्रभारी फसाहत अली खां उर्फ शानू सहित तमाम मुस्लिम नेताओं को शामिल किया। बीजेपी को इसका फायदा भी मिला।
बीजेपी के हाईकमान को पता हो गया है कि राजनीति में लंबी पारी खेलना है, तो मुस्लिमों का विश्वास जीतना होगा। नगर निकाय चुनाव में इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है। इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने एक भी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया था। इससे पहले हुए 2017 के विधानसभा, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी कोई मुस्लिम को टिकट नहीं दिया था।
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के गृह जनपद में भी मुस्लिम मतों की संख्या करीब आधी है। यहां मेयर पद के लिए तो फिलहाल किसी मुस्लिम ने दावेदारी पेश नहीं की है, लेकिन विभिन्न 20 वार्डों खास कर मुस्लिम बहुल से 30 मुस्लिमों ने दावेदारी की है। यह पहला ऐसा मौका है जब भाजपा से टिकट के लिए निकाय चुनाव में मुस्लिम ने दावेदारी की है। इसकी पुष्टि भाजपा महानगर मीडिया प्रभारी राहुल सेठी ने की है।