…और मुलायम को भी कर दिया किनारे
उन्होंने कहा कि सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने पार्टी बनाई, लेकिन उन्हें भी किनारे कर दिया गया। वहां वरिष्ठों का कोई सम्मान नहीं रहा और उसी पर उन्होंने पार्टी छोड़ी है। कहा कि भाजपा में ही देश और प्रदेश का भविष्य सुरक्षित है और उसी ही मजबूत करने के लिए वह सैकड़ों समर्थकों के साथ 19 तारीख को भाजपा ज्वाइन करेंगे। बाजपेयी ने राजनीति के 42 साल मुलायम सिंह के साथ बिताकर काफी उतार चढ़ाव देखा लेकिन उन्होंने पार्टी नहीं छोड़ी, लेकिन जब अपमान की सीमा समाप्त हो गई तो उन्होंने पार्टी और पद दोनों छोड़ दिया।
उन्होंने कहा कि सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने पार्टी बनाई, लेकिन उन्हें भी किनारे कर दिया गया। वहां वरिष्ठों का कोई सम्मान नहीं रहा और उसी पर उन्होंने पार्टी छोड़ी है। कहा कि भाजपा में ही देश और प्रदेश का भविष्य सुरक्षित है और उसी ही मजबूत करने के लिए वह सैकड़ों समर्थकों के साथ 19 तारीख को भाजपा ज्वाइन करेंगे। बाजपेयी ने राजनीति के 42 साल मुलायम सिंह के साथ बिताकर काफी उतार चढ़ाव देखा लेकिन उन्होंने पार्टी नहीं छोड़ी, लेकिन जब अपमान की सीमा समाप्त हो गई तो उन्होंने पार्टी और पद दोनों छोड़ दिया।
कहा-इसलिए वहां घुटन महसूस कर रहे थे
डा. बाजपेयी ने कहा कि ढाई दशक पहले समाजवादी पार्टी का जन्म एक विचारधारा के रूप में हुआ था, लेकिन अब पार्टी समाजवादियों की नहीं रह गई है, इसलिए वहां घुटन महसूस कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मैंने पार्टी को खून-पसीने से सींचा, लेकिन लगातार हो रहे अपमान से आहत थे, इसलिए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और विधान परिषद की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया। वहीं उन्होंने अखिलेश यादव को लेकर कहा कि वह पुत्रवत हैं और मैं उन पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा।
डाक्टर बाजपेयी के भाजपा में जाने से सपा को काफी नुकसान उठाना पड़ेगा। हरदोई को सपा का गढ़ माना जाता रहा है। डाक्टर अशोक बाजपेयी सपा के पुराने नेता और मुलायम सिंह यादव के करीबी थे।
डा. बाजपेयी ने कहा कि ढाई दशक पहले समाजवादी पार्टी का जन्म एक विचारधारा के रूप में हुआ था, लेकिन अब पार्टी समाजवादियों की नहीं रह गई है, इसलिए वहां घुटन महसूस कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मैंने पार्टी को खून-पसीने से सींचा, लेकिन लगातार हो रहे अपमान से आहत थे, इसलिए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और विधान परिषद की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया। वहीं उन्होंने अखिलेश यादव को लेकर कहा कि वह पुत्रवत हैं और मैं उन पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा।
डाक्टर बाजपेयी के भाजपा में जाने से सपा को काफी नुकसान उठाना पड़ेगा। हरदोई को सपा का गढ़ माना जाता रहा है। डाक्टर अशोक बाजपेयी सपा के पुराने नेता और मुलायम सिंह यादव के करीबी थे।
नरेश अग्रवाल भी रहे हैं कारण
सूत्रों की माने तो डाक्टर अशोक बाजपेयी के सपा छोडऩे का कारण सपा के राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल भी माने जा रहे हैं। राज्यसभा चुनाव के दौरान डाक्टर अशोक बाजपेयी को राज्यसभा भेजने की बात पक्की हो गई थी, लेकिन नरेश अग्रवाल ने बाजपेयी का पत्ता काट दिया। उसके बाद सपा ने उन्हें एमएलसी बना दिया। अशोक बाजपेयी सपा के काफी सीनियर लीडर रहे हैं उन्हें अखिलेश मंत्रीमंडल में जगह नहीं दी गई जिस कारण से वे काफी दिनों से नाराज भी चल रहे थे। अब वे भाजपा में जा रहे हैं। माना जा रहा है कि बाजपेयी को भाजपा लोकसभा का चुनाव लड़ा सकती है।