भगवान की धरती कहे जाने वाले ओडिशा में जन्मे एक लड़के ने ग्रेजुएशन के बाद आंखों में प्रशासनिक अधिकारी बनने का ख्वाब सजाकर यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की। कठिन परिश्रम के बावजूद 1971 बैच में वह आईएएस तो नहीं बन पाया, लेकिन प्रशासनिक सेवा का दूसरा सबसे लोकप्रिय कैडर IPS हासिल कर लिया। इसके बाद वह 1991 यानी 20 साल तक सामान्य व्यक्ति की तरह नौकरी करता रहा।
कृष्ण भक्ति की ओर बढ़ता गया झुकाव
इस बीच उसका झुकाव कृष्ण भक्ति की ओर होता गया। एक वक्त ऐसा आया कि जब वह राधा की तरह श्रृंगार करने लगा और वह इसी वेशभूषा में ऑफिस जाने लगा। यह बात तेजी के साथ फैल गई और इसकी जोरशोर से चर्चा शुरू हो गई। मीडिया और प्रशासनिक भवनों तक इसकी गूंज सुनाई दी। इस दौरान उससे सवाल-जवाब भी हुए। इन्हीं सब कारणों के चलते आईपीएस अधिकारी को रिटायरमेंट से दो साल पहले वीआरएस लेना पड़ा। हम बात कर रहे हैं यूपी कैडर के आईपीएस डीके पांडा की।
इस बीच उसका झुकाव कृष्ण भक्ति की ओर होता गया। एक वक्त ऐसा आया कि जब वह राधा की तरह श्रृंगार करने लगा और वह इसी वेशभूषा में ऑफिस जाने लगा। यह बात तेजी के साथ फैल गई और इसकी जोरशोर से चर्चा शुरू हो गई। मीडिया और प्रशासनिक भवनों तक इसकी गूंज सुनाई दी। इस दौरान उससे सवाल-जवाब भी हुए। इन्हीं सब कारणों के चलते आईपीएस अधिकारी को रिटायरमेंट से दो साल पहले वीआरएस लेना पड़ा। हम बात कर रहे हैं यूपी कैडर के आईपीएस डीके पांडा की।
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अब इलाहाबाद के धूमनगंज में रह रहे बाबा कृष्णानंदपूर्व आईपीएस डीके पांडा की लेटेस्ट जानकारी जनवरी 2023 में सामने आई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वह अभी इलाहाबाद में रह रहे हैं। उनका पूरा नाम देबेंद्र किशोर पांडा है। लेकिन अब वह बाबा कृष्णानंद बन चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट में बताया गया था कि वह इलाहाबाद के धूमनगंज स्थित अपने घर में अकेले ही रहते हैं और घर में ही बने मंदिर में कृष्ण भक्ति में लीन रहते हैं। लेकिन पूर्व आईपीएस डीके पांडा की कहानी इतनी भर नहीं है।
1991 में ही बन गए थे कृष्ण की दूसरी राधा
पूर्व आईपीएस डीके पांडा ने दूसरी राधा के रूप में रिटायरमेंट से पहले 2005 में सुर्खियां बटोरी थी, लेकिन यह सब अचानक नहीं हुआ था। उन्होंने खुद इस बात को स्वीकार किया था कि आईपीएस के रूप में 20 साल नौकरी करने के बाद साल 1991 में एक दिन उनके सपने में भगवान कृष्ण आए थे। भगवान कृष्ण ने उन्हें बताया कि तुम डीके पांडा नहीं बल्कि मेरी प्रिय राधा हो। बस इसके बाद डीके पांडा ने खुद को एक महिला के रूप में बदल लिया। धीरे-धीरे उन पर राधा का रूप गहराता गया और वह एक महिला की तरह श्रृंगार करके रहने लगे।
पूर्व आईपीएस डीके पांडा ने दूसरी राधा के रूप में रिटायरमेंट से पहले 2005 में सुर्खियां बटोरी थी, लेकिन यह सब अचानक नहीं हुआ था। उन्होंने खुद इस बात को स्वीकार किया था कि आईपीएस के रूप में 20 साल नौकरी करने के बाद साल 1991 में एक दिन उनके सपने में भगवान कृष्ण आए थे। भगवान कृष्ण ने उन्हें बताया कि तुम डीके पांडा नहीं बल्कि मेरी प्रिय राधा हो। बस इसके बाद डीके पांडा ने खुद को एक महिला के रूप में बदल लिया। धीरे-धीरे उन पर राधा का रूप गहराता गया और वह एक महिला की तरह श्रृंगार करके रहने लगे।
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रिटायरमेंट से दो साल पहले छोड़ना पड़ा पदसाल 2005 की ही बात है, जब वह लखनऊ में आईजी रूल्स एंड मैनुअल पद पर तैनात थे। वह महिलाओं की तरह सोलह श्रृंगार करने लगे। मांग में सिंदूर, माथे पर बिंदी, कान में बाली, नाक में नथ और पैरों में घुंघरू पहनने लगे। उनके इस स्वरूप से एक तरफ पुलिस की बेइज्जती हुई और दूसरी ओर मीडिया में सुर्खियां बनने लगी। अखिरकार उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। वह साल 2007 में रिटायर होने वाले थे।
2015 में फिर से सपने में आए भगवान
साल 1991 में भगवान सपने में आए थे तो डीके पांडा कृष्ण प्रिया यानी दूसरी राधा बन गए थे। बताते हैं कि साल 2015 में उनके सपने में एक बार फिर भगवान कृष्ण आए थे। इस बार भगवान ने उनसे कहा कि ये कृष्ण प्रिया वाला रूप त्याग दीजिए। उसके बाद पूर्व आईपीएस डीके पांडा ने कृष्ण प्रिया का रूप छोड़ दिया और बाबा कृष्णानंद बन गए। तब से वह कृष्णानंद के रूप में भक्ति कर रहे हैं। अब वह राधा की तरह नहीं बल्कि एक संत की तरह रहते हैं और पीत वस्त्र धारण करते हैं।
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…जब पत्नी ने कर दिया था मुकदमापूर्व आईपीएस डीके पांडा के कृष्णप्रिया बनने के बाद उनके सामने तमाम मुश्किलें आईं। साल 2009 में उनकी पत्नी वीणा पांडा ने पूर्व आईपीएस पर गुजारा भत्ता के लिए मुकदमा कर दिया था। अदालत ने पूरा मामला सुनने के बाद पूर्व आईजी डीके पांडा को आदेश दिया कि वह अपनी संपत्ति का आधा हिस्सा और गुजारा भत्ता पत्नी को दें। इसके बाद से वह अपनी पत्नी को हर महीने 10 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने लगे।