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लखनऊ

बेसिक शिक्षा विभाग में होने जा रहा बड़ा बदलाव, ये चीजें हो जाएंगी ऑनलाइन

यूपी शिक्षा विभाग में टीचर्स और कर्मचारियों के सैलेरी, पीएम से संबंधित काम ऑनलाइन होंगे। यानी अब टीचर्स को अपने छोटे मोटे कामों के लिए अधिकारियों के कार्यालय के चक्कर नहीं काटने होंगे।

लखनऊAug 21, 2022 / 10:29 am

Jyoti Singh

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भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए यूपी शिक्षा विभाग में जल्द ही बड़ा बदलाव होने वाला है। यहां अब टीचर्स और कर्मचारियों के सैलेरी, पीएम से संबंधित काम ऑनलाइन होंगे। यानी अब टीचर्स को अपने छोटे मोटे कामों के लिए अधिकारियों के कार्यालय के चक्कर नहीं काटने होंगे। तय समय में काम पूरे करने के लिए जिम्मेदारों की जवाबदेही हो जाएगी। कहा यह भी जा रहा है कि ऑनलाइन चीजें होने से भ्रष्टाचार पर भी रोक लग सकेगी। जल्द ही यह काम मानव संपदा पोर्टल पर शुरू कर दिया जाएगा।
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वित्तीय कार्यों में शिक्षकों को आती है दिक्कतें

बता दें कि बेसिक शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार का सबसे अधिक मामला सामने आता है, विशेषकर टीचर्स के वित्तीय कार्यों में। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि टीचर्स को वित्तीय मामले में संबंधित मदों की न तो जानकारियां हो पाती हैं और न ही आसानी से उनके ट्रांजक्शन पूरे हो पाते हैं। वहीं अगर ट्रांजक्शन होते भी हैं तो वह सामान्य प्रक्रिया से नहीं बल्कि विशेष प्रक्रिया के जरिए पूरे होते हैं। भुगतान चाहें जीपीएफ से एडवांस का हो या किसी एरियर का, सामान्य प्रक्रिया में वर्षों लग जाते हैं।
नई प्रक्रिया से शिक्षकों को मिलेगा लाभ

ऐसे में मानव संपदा पोर्टल के जरिए सैलरी और अवकाश की तरह रिक्वेस्ट बेस्ड टैब विकसित किए जाने का प्रस्ताव एनआईसी को भेजा गया है। इसमें सामान्य भविष्य निधि से एडवांस, चयन वेतनमान, प्रोन्नत वेतनमान, अन्य सभी एरियर के लिए आवेदन इसी पोर्टल के माध्यम से करने होंगे। प्रक्रिया पहले से तय होगी। उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष योगेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि नई प्रक्रिया से शिक्षकों को लाभ मिलेगा लेकिन अधिकारियों के स्तर से रिजेक्शन के कारण स्पष्ट होना चाहिए।
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शिक्षकों को नहीं मिल पाते अवकाश

दाअसल मानव संपदा पोर्टल पर अवकाश आसान हो गया लेकिन चाइल्ड केयर लीव के ऑनलाइन आवेदन के बाद भी खंड शिक्षा अधिकारी शिक्षक से भेंट के बिना अवकाश नहीं मिल पाता। वित्तीय पोर्टल पर इसे रोकने के लिए सख्त नियम बनाने होंगे। चयन वेतनमान दस वर्ष में मिल जाना चाहिए। पर 20 फीसदी शिक्षक ऐसे हैं जिन्हें दस वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद भी अब तक वेतनमान नहीं मिला है। ऐसे शिक्षकों की संख्या अधिक है।

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