अयोध्या शोध संस्थान कर रहा तैयारी थोड़ा सा इंतजार और फिर देश दुनिया में उत्तर प्रदेश के गौरवशाली इतिहास की गाथा सुनाई देगी। अलग-अलग किताबों में विक्रय समृद्ध इतिहास की कहानियों को एक जगह और एक क्लिक पर पढ़ने जानने और समझने का मौका भी मिलेगा। यह संभव होगा अयोध्या शोध संस्थान की ओर से तैयार किए जा रहे इनसाइक्लोपीडिया से।
सभी 75 जिलों को होगा इतिहास यूपी के 75 जिलों के इतिहास के छुए अनछुए पहलुओं के लिए अलग-अलग 75 ऐसी किताबें तैयार की जा रही हैं क्योंकि इसमें हर छोटी-बड़ी कहानियों तथ्यों धरोहरों नायकों के संघर्ष और सफलता को शामिल किया जा रहा है। तो इसे इनसाइक्लोपीडिया कहना गलत नहीं होगा। अयोध्या शोध संस्था के निदेशक डॉक्टर लवकुश द्विवेदी कहते हैं कि 15 अगस्त 2023 तक यह काम पूरा हो जाएगा प्रदेशवासियों को जश्न ए आजादी का यह तोहफा होगा।
क्या कहते हैं डॉ लवकुश डॉक्टर लवकुश कहते हैं कि सांस्कृतिक विभाग ने 75 वर्ष 75 जनपद 75 पुस्तक की थीम पर योजना की जिम्मेदारी सौंपी है। इसे लेकर विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश मिश्रा की अध्यक्षता में सोमवार को बैठक भी हुई। प्रमुख सचिव का कहना है कि आजादी के बहुत सारे नायकों व उनकी संघर्षों और गाथाओं की लिपिबद्ध नहीं किया गया है। हम चाहते हैं कि आने वाली पीढ़ी अपने समृद्ध इतिहास से रूबरू हो और इसे संजोकर रख सके।
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बच्चे के लिए जिद करने वाली खूबसूरत पत्नी को पति ने उतारा मौत के घाट, तीन बार पहले भी कराया जबरन गर्भपात, जानें क्या है मामला हो रही कोशिश डॉक्टर लवकुश ने कहा कि हमारी कोशिश है कि आजादी के संघर्ष में योगदान देने वालों के साथ-साथ विभिन्न युद्धों और कारगिल में शहीद होने वाले नायकों की कहानियों को भी शामिल किया जाए। पुस्तक के प्रकाशन के साथ इसे डिजिटल आकार भी दिया जाएगा, ताकि दुनिया के किसी भी कोने में रहकर हम उत्तर प्रदेश के इतिहास को पढ़ने के साथ लोगों को दिखा सके। डॉक्टर लवकुश के मुताबिक इसके लिए बनी राज्य स्तरीय कमेटी में वरिष्ठ साहित्यकार पदम श्री विद्या बिंदु सिंह, लखनऊ विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर सूर्य प्रकाश दीक्षित, लखनऊ विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर डीपी तिवारी, इतिहासकार रवि भट्ट नामित किए गए अलग-अलग क्षेत्रों से विशेषज्ञों को पदेन सदस्य के रूप में शामिल किया गया।