लखनऊ

अब इनको नहीं मिलेगी मुफ्त की बिजली, आयोग ने किया बड़ा बदलाव

Electricity Bill Update: अब बिजली की भुगतान सभी को करना होगा। बिजली विभाग के कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए नए नियम लागू कर दिए गए।

लखनऊMay 18, 2022 / 05:44 pm

Snigdha Singh

Electricity not free For Electricity Employees and pensioners

उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारी व पेंशनर्स की बिजली सप्लाई को लेकर बड़ बदलाव हुआ है। अब सभी को बिजली का बिल चुकाना होगा। ज्यादा दिन तक रियायती दर पर असीमित बिजली का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। आम उपभोक्ताओं की तरह उपयोग की गई बिजली का पूरा बिल चुकाना होगा। रियायती बिजली की सुविधा जारी रहने पर राज्य विद्युत नियामक आयोग ने कड़ा रुख अपनाते हुए बिजली लोड के जांच के निर्देश दिए हैं। आयोग ने पावर कॉर्पोरेशन से वर्ष 2018-19 से अब तक विभागीय कर्मियों को दी गई रियायती बिजली का पूरा हिसाब-किताब तलब किया है। इसके बाद कई बड़े बदलाव किए।
आयोग ने पूछे ये सवाल
बिजली लोड के लेकर आयोग ने पूछा है ऐसे कनेक्शनों की संख्या कितनी है, इनका लोड कितना है, इन्हें कितनी बिजली दी जा रही, इस पर खर्च कितना हो रहा है और इसके एवज में कितना राजस्व मिल रहा है? बिजली कंपनियों को एक सप्ताह में पूरा ब्योरा दाखिल करने के आदेश दिए गए हैं। ऐसे विभागीय कर्मियों और पेंशनरों के यहां मीटर लगाकर उन्हें घरेलू दर के दायरे में लाने की कवायद तेज कर दी गई है।
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एक लाख कर्मचारी व पेंशनर्स ले रहे थे सुविधा का लाभ
प्रदेश में वर्तामन समय में रियायती बिजली की सुविधा लेने वाले बिजली कर्मियों व पेंशनरों की संख्या में करीब एक लाख है। पहले अलग-अलग स्तर के कर्मियों व पेंशनर्स के लिए 160 रुपये से लेकर 600 रुपये प्रतिमाह फिक्स चार्ज तय था। गर्मियों में एसी के लिए 600 रुपये प्रति एसी के हिसाब से भुगतान का प्रावधान था। लेकिन अब ऐसी सुविधाएं खत्म हो जाएंगी। आम लोगों की तरह ही बिल का भुगतान करना होगा।
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प्रदेश में हर साल 450 करोड़ से ज्यादा खर्च
उत्तर प्रदेश में विभागीय कर्मियों व पेंशनर्स को दी जा रही रियायती बिजली पर हर साल 450 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हो रहे हैं। नियामक आयोग ने प्रति उपभोक्ता 600 यूनिट औसत उपभोग मानते हुए 6.50 रुपये प्रति यूनिट की दर से इन्हें दी जाने वाली बिजली का राजस्व 450 करोड़ रुपये से ज्यादा माना है। अब आयोग के नए नियमों से बिल भरना पड़ेगा।

सीएम दे चुके थे निर्देश
इससे पहले सीएम योगी आदित्यनाथ ने नवंबर 2018 में विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों व पेंशनर्स के घरों पर मीटर लगाकर बिजली उपभोग की सीमा निर्धारित करने के आदेश दिए थे। इसके बाद पावर कॉर्पोरेशन ने सभी बिजली कंपनियों के प्रबंध निदेशक को पत्र भेजकर आदेश का पालन कराने को कहा था, लेकिन सब कागजों पर ही रह गया। हकीकत में कोई बदलाव दिखा ही नहीं।
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