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प्रदेश में वर्तामन समय में रियायती बिजली की सुविधा लेने वाले बिजली कर्मियों व पेंशनरों की संख्या में करीब एक लाख है। पहले अलग-अलग स्तर के कर्मियों व पेंशनर्स के लिए 160 रुपये से लेकर 600 रुपये प्रतिमाह फिक्स चार्ज तय था। गर्मियों में एसी के लिए 600 रुपये प्रति एसी के हिसाब से भुगतान का प्रावधान था। लेकिन अब ऐसी सुविधाएं खत्म हो जाएंगी। आम लोगों की तरह ही बिल का भुगतान करना होगा।
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प्रदेश में हर साल 450 करोड़ से ज्यादा खर्च
उत्तर प्रदेश में विभागीय कर्मियों व पेंशनर्स को दी जा रही रियायती बिजली पर हर साल 450 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हो रहे हैं। नियामक आयोग ने प्रति उपभोक्ता 600 यूनिट औसत उपभोग मानते हुए 6.50 रुपये प्रति यूनिट की दर से इन्हें दी जाने वाली बिजली का राजस्व 450 करोड़ रुपये से ज्यादा माना है। अब आयोग के नए नियमों से बिल भरना पड़ेगा।
सीएम दे चुके थे निर्देश
इससे पहले सीएम योगी आदित्यनाथ ने नवंबर 2018 में विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों व पेंशनर्स के घरों पर मीटर लगाकर बिजली उपभोग की सीमा निर्धारित करने के आदेश दिए थे। इसके बाद पावर कॉर्पोरेशन ने सभी बिजली कंपनियों के प्रबंध निदेशक को पत्र भेजकर आदेश का पालन कराने को कहा था, लेकिन सब कागजों पर ही रह गया। हकीकत में कोई बदलाव दिखा ही नहीं।
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सीएम दे चुके थे निर्देश
इससे पहले सीएम योगी आदित्यनाथ ने नवंबर 2018 में विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों व पेंशनर्स के घरों पर मीटर लगाकर बिजली उपभोग की सीमा निर्धारित करने के आदेश दिए थे। इसके बाद पावर कॉर्पोरेशन ने सभी बिजली कंपनियों के प्रबंध निदेशक को पत्र भेजकर आदेश का पालन कराने को कहा था, लेकिन सब कागजों पर ही रह गया। हकीकत में कोई बदलाव दिखा ही नहीं।