बिजली उपभोक्ता इस फैसले से खुश हैं। जानकारों का भी मानना है कि सरकार के इस फैसले से उपभोक्ताओं का फायदा होगा। वहीं, उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ ने फैसले पर नाराजगी जताई है। संघ के अध्यक्ष वीपी सिंह कहा कि बिजली वितरण के क्षेत्र में एक से अधिक बिजली वितरण कंपनियों के आने का मतलब साफ है कि सरकारी बिजली कंपनियों के अलावा निजी कंपनियों को बिजली आपूर्ति का काम दिया जाएगा। और निजी बिजली कंपनियां बिना किसी निवेश के सरकारी वितरण कंपनियों के नेटवर्क का इस्तेमाल करेंगी। इतना ही नहीं निजी कंपनियां केवल मुनाफे वाले औद्योगिक व व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को बिजली देंगी और घाटे वाले ग्रामीण और घरेलू उपभोक्ताओं को सरकारी कंपनी घाटा उठाकर बिजली देने पर विवश होंगी। संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि बजट में बिजली वितरण के निजीकरण की घोषणा से बिजलीकर्मियों में गुस्सा है। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि केंद्रीय बजट में ऊर्जा सेक्टर के निजीकरण का हिडेन एजेंडा छिपा है।