लखनऊ. उत्तर प्रदेश की हवा खराब हो रही है। यहां की आबोहवा में बढ़ते प्रदूषण के कण ने हवा को जहरीली बना दिया है। ठंड बढ़ने के साथ ही प्रदूषण का स्तर भी लगातार बढ़ रहा है। प्रदूषण के बढ़ते स्तर की वजह से यूपी के अस्पतालों में सांस की परेशानियों से संबंधित मरीजों की संख्या में भी इजाफा हुआ हो रहा है। बेलगाम प्रदूषण से सुबह की सैर करने निकले लोगों पर परेशानी के बादल छाए रहते हैं। वहीं, धुंध के चलते आंखों में जलन भी होने लगी है।
राजधानी लखनऊ में एयर क्वालिटी इंडेक्स खतरनाक श्रेणी में पहुंच गया है। यहां का एक्यूआई 400 पार पहुंच गया है। वहीं प्रदूषित शहरों में टॉप पर कानपुर शहर रहा। शनिवार को जारी सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, देश के टॉप टेन प्रदूषित शहरों में आठ यूपी के हैं। इसमें कानपुर का एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 455 रिकॉर्ड किया गया। वहीं नंबर दो पर रहे लखनऊ का एक्यूआई 441 दर्ज किया गया। इसके अलावा गाजियाबाद का एक्यूआई 440, बुलंदशहर का एक्यूआई 434, बागपत का एक्यूआई 420,ग्रेटर नोएडा का एक्यूआई 415, नोएडा का एक्यूआई 414 रिकॉर्ड किया गया। जबकि पटना का एक्यूआई 404 व मेरठ का एक्यूआई 401 दर्ज किया गया। इसी तरह दसवें नंबर पर प्रदूषित शहर रहे फरीदाबाद एक्यूआई 383 दर्ज किया गया।
बनारस बना धुंध व गैस का चैंबर वाराणसी की भी आबोहवा में जहर घुलने लगा है। यह शहर अक्सर प्रदूषण के मामले में अव्वल दर्जे पर रहता है। शुक्रवार को शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स 389 पर पहुंच गया। यह आंकड़ा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से महज 46 अंक ही कम रहा। इसके कारण बनारस का वातावरण दिन भर धुंध और गैस चैंबर में तब्दील हो गया। सुबह से लेकर देर रात तक काशी धुएं की चादर में लिपटी रही। मुख्य प्रदूषक तत्वों में पीएम 2.5 कणों की काफी मौजूदगी देखी गई।
जाम और धूल ने बढ़ाई परेशानी बनारस में वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण धूल और धुआं है। चांदपुर, लहरतारा, बौलिया, भेलूपुर, इंग्लिशिया लाइन, बांसफाटक, गोदौलिया, बेनियाबाग और नई सड़क इलाके में जाम और धूल के कारण प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। चांदपुर से बौलिया वाले इलाके में शाम को धूल और धुएं के कारण स्मॉग जैसी स्थिति बन गई।
खराब हुई गंगा की गुणवत्ता वाराणसी में बढ़ते प्रदूषण ने गंगा की गुणवत्ता को भी खराब श्रेणी में ला दिया है। शासन की ओर से जारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, गंगा में पिछले दो सालों में प्रदूषण की मात्रा बढ़ी है। बनारस में गंगाजल को डी श्रेणी में रखा गया है और इसके अनुसार पानी आचमन तो दूर डुबकी के लायक भी नहीं है। शासन ने विभाग की रिपोर्ट को संज्ञान में लेते हुए तत्काल सुधार के लिए दिशा निर्देश जारी किए हैं। प्रदेश के मुख्य सचिव आरके तिवारी ने गंगा में प्रदूषण की मात्रा पर चिंता जताई है। उन्होंने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की क्षेत्रीय इकाइयों को व्यवस्था दुरुस्त करने का निर्देश दिया है।