Santoshi Das लखनऊ. मछली के शौकीनों के लिए बुरी खबर। अगर आप सेहत सुधारने के लिए गिरई मछली खाते हैं तो सावधान हो जाएं। यह मछली जहरीली हो चुकी है। अब यह मछली आपकी सेहत सुधरेगी नहीं बल्कि बिगाड़ेगी। इस बात का खुलासा बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर केंद्रीय विवि ने एक शोध में किया। विवि की प्रोफेसर डॉ आभा मिश्रा ने लखनऊ के मछली बाज़ार में बिकने वाली गिरई मछली के नमूने लिए। इन नमूनों की जांच के बाद ये बात सामने आई। इस रिसर्च के लिए विवि को प्रोजेक्ट उत्तर प्रदेश विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी परिषद ने दिया था। बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर केंद्रीय विवि के जंतु विज्ञान विभाग को वर्ष 2013 में यह प्रोजेक्ट मिला था। इस प्रोजेक्ट में पोखरों और तालाबों में पायी जाने वाली गिराई मछली पर शोध करना था। खेती में प्रयोग किये जाने वाले कीटनाशकों का कितना असर मछलियों पर पड़ रहा है इसके बारे में पता लगाना था। विवि की प्रोफेसर आभा मिश्रा के निर्देशन में शोधार्थी परमेश्वर सिंह ने शोध किया। इस शोध के तहत लखनऊ के आलमबाग, मवैया और सदर के मछली बाज़ार से मछलियों के नमूने लिए। इन मछलियों को जंतु विज्ञान विभाग की लैब में जांच किया। मछलियों पर कीटनाशकों के प्रभाव को देखने के लिए उन्हें कीटनाशक वाले पानी में कुछ दिन डाल के रखा। इसका नतीजा यह निकला की मछली का शरीर टेढ़ा मेढ़ा होने लगा। मछली बीमार होने लगी। शरीर के लिए नुकसानदेह डॉ आभा आभा ने बताया की जांच में यह पाया की कीटनाशकों से प्रभावित इन इन मछलियों को खाने से इनका दुष्प्रभाव इंसान पर भी पड़ेगा। लोग कई बीमारियों के चपेट में आ सकते हैं। इन मछलियों को खाने से बचें। बचाव नदी, पोखर और तालाब के किनारे खेती में कीटनाशकों का प्रयोग बंद हो जैविक खाद और कीटनाशक प्रयोग किया जाए