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वर्दी के रौब ने ली बेकसूरों की जान कहते है कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार में अपराधियों का बोलबाला कम हुआ है, लेकिन कहते तो ये भी हैं पुलिस का बोलबाला कई मामलों पर अपराधियों की तरह बढ़ा है। आप कहां सुरक्षित हैं इस बात का भरोसा आपको नहीं होगा। यूपी में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जब निर्दोष व्यक्तियों की जान पुलिसकर्मियों के बेतहासा वर्दी के रौब ने ले ली। योगी सरकार को भी होना पड़ा कटघरे में खड़ा उत्तर प्रदेश पुलिस का स्लोगन है, ‘सुरक्षा आपकी, संकल्प हमारा’। लेकिन पुलिस होटल में अवैध तरीके से घुसी, सड़क पर पुलिस जान लेने लगी, सब्जी बेचना गुनाह हो गया और थाने में हो गई मौत…अगर ऐसा ही हाल रहा तो लोग डरेंगे और पुलिस से बचेंगे। ऐसे में अपराध कैसे कम होगा और व्यवस्था कैसे बदलेगी। हम आपको उन पांच मामलों के बारे में बताते हैं जिसकी वजह से योगी सरकार को भी कटघरे में खड़ा होना पड़ा।
हिरासत में सफ़ाईकर्मी की मौत उत्तर प्रदेश के आगरा में पुलिस हिरासत में सफ़ाई कर्मचारी अरुण वाल्मीकि की मौत का मामला सामने आया है। सफ़ाईकर्मी के परिजन ने इस मामले में हत्या का केस दर्ज़ कराया है। मुक़दमे में किसी को नामजद नहीं किया गया, लेकिन पुलिस अधिकारियों के मुताबिक आनंद शाही (इंस्पेक्टर), योगेंद्र (सब इंस्पेक्टर), सत्यम (सिपाही), रूपेश (सिपाही) और महेंद्र (सिपाही) निलंबित कर दिया गया है। इस मामले में विपक्ष सरकार पर हमलावर है और स्थानीय अधिकारी मरने वाले सफ़ाईकर्मी के परिजन को मनाने में जुटे हैं ताकि मामला तूल नहीं पकड़े।
व्यापारी मनीष गुप्ता की मौत गोरखपुर में कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता की मौत से यूपी पुलिस की कार्यशैली सवालों के घेरे में है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मनीष के शरीर पर चार जगह चोट के निशान मिले हैं। नूकीलें धारदार हथियार से शरीर पर जख्म थे। मनीष की पत्नी मीनाक्षी की तहरीर पर तीन पुलिसकर्मियों के केस दर्ज किया गया है। सीएम ने कानपुर में मीनाक्षी से मुलाकत कर आर्थिक मद्द और सरकारी नौकरी दिया।
सड़क पर विवेक तिवारी की हत्या राजधानी लखनऊ के गोमतीनगर इलाके में एप्पल कंपनी के एरिया सेल्स मैनेजर विवेक तिवारी की 28 सितंबर 2018 को देर रात सरयू अपार्टमेंट के पास गोली मार कर हत्या कर दी गई। आरोपी सिपाहियों का कहना था कि विवेक को कार से उतरने के लिए कहा गया तो उन्होंने बाइक में टक्कर मार दी। उस वक्त ये घटना इतनी बड़ी थी कि सीएम योगी को खुद सामने आकर बोलना पड़ा था। सिपाही प्रशांत ने पिस्टल तान कर चेतावनी दी तो उसे उसे कुचलने का प्रयास किया। एसआईटी ने अपनी जांच में आरोपी सिपाही प्रशांत को हत्या और संदीप को मारपीट का आरोपी बनाया था। चार्जशीट दाखिल होते ही सिपाही संदीप को जमानत मिल गई और वो जेल से बाहर आ गया था।
युवक की हत्या से मचा बवाल जौनपुर जिले में बक्शा थाना इलाके के चकमिर्जापुर के रहने वाले कृष्णा यादव उर्फ पुजारी की 11 फरवरी की रात थाने के अंदर पुलिस की पिटाई से मौत हो गई। परिजनों का आरोप था कि रात में तलाशी के दौरान बक्से का ताला तोड़कर 60 हजार रुपए और गहने पुलिस उठा ले गई। मामले में हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया था।
अंबेडकरनगर में जियाउद्दीन की मौत अंबेडकरनगर में आजमगढ़ के जियाउद्दीन की पुलिस कस्टडी में मौत के मामले में स्वाट प्रभारी और सिपाहियों के खिलाफ अपहरण और हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था। 27 मार्च को आजमगढ़ जनपद से जियाउद्दीन लेकर स्वाट टीम आई थी। आरोप है कि पुलिस की पिटाई ये युवक की मौत हो गई। पुलिस को जैतपुर थाना इलाके में हुई एक लूट की घटना में जियाउद्दीन पर शक था। इसी को लेकर स्वाट टीम ने उसे उठाया था, फिर जिला अस्पताल में भरती कराया। अस्पताल में इलाज के दौरान जियाउद्दीन की मौत हो गई। इस मामले में अब तक सिर्फ सात पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर किया गया है।
लॉकअप में मौत के बाद हुआ था बवाल सुल्तानपुर जिले में तीन जून को कुड़वार थाना के लॉकअप में परसीपुर के रहने वाले राजेश की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। मामले में लापरवाह थाना प्रभारी अरविंद पाण्डेय, एक दारोगा और एक मुख्य आरक्षी को निलंबित कर दिया था। इसके साथ ही थाना प्रभारी पर हत्या का मुकदमा भी दर्ज किया गया था।
सफ़ाईकर्मी अरुण वाल्मीकि और व्यापारी मनीष गुप्ता हत्याकांड कोई पहला मामला नहीं है जिससे सरकार और पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठे। बीते साढ़े चार साल में कई ऐसे मामले सामने आए जब पुलिस पर हत्या के आरोप लगे।