यह भी पढ़ें
UP RERA: मकान खरीदने से पहले जरूर पढ़ें: रेरा ने जारी किए सख्त नियम, जानिए क्या हैं आपके अधिकार
पर्यटकों के लिए नई सुविधा: कहानियों के साथ जंगल सफारी
दुधवा नेशनल पार्क में नेचर गाइड्स की यह पहल पर्यटकों को जंगल भ्रमण के दौरान एक अनूठा अनुभव देगी। नेचर गाइड्स अब पर्यटकों को दुधवा की खासियतों और वहां के वन्यजीवों के बारे में रोचक कहानियां सुनाएंगे। इससे सफारी के दौरान पर्यटक केवल देखने तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि वे दुधवा की पारिस्थितिकी और उसकी सांस्कृतिक धरोहर से गहराई से जुड़ पाएंगे। जयवीर सिंह ने बताया कि इस पहल का उद्देश्य दुधवा, कतर्नियाघाट और पीलीभीत टाइगर रिजर्व जैसे प्रमुख ईको टूरिज्म स्थलों पर भी यह सुविधा उपलब्ध कराना है। यह भी पढ़ें
Mahakumbh 2025 की तैयारियों के लिए प्रयागराज के 9 रेलवे स्टेशनों का होगा विस्तार, दौड़ेंगी 992 मेला स्पेशल ट्रेनें
नेचर गाइड्स को मिलेगा रोजगार, स्किल डेवलपमेंट पर जोर
यह योजना न केवल पर्यटकों के अनुभव को समृद्ध बनाएगी, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा करेगी। पर्यटन मंत्री ने बताया कि नेचर गाइड्स के लिए उम्र सीमा 18 से 35 वर्ष और न्यूनतम योग्यता इंटरमीडिएट रखी गई है। इस प्रशिक्षण के माध्यम से स्थानीय युवाओं की स्किल्स का विकास होगा और वे बेहतर रोजगार के अवसरों का लाभ उठा सकेंगे। जयवीर सिंह ने बताया कि ईको टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड, मान्यवर कांशीराम इंस्टीट्यूट ऑफ टूरिज्म मैनेजमेंट और द नेचुरलिस्ट स्कूल द्वारा एक विशेष पाठ्यक्रम तैयार किया गया है, जिसमें युवाओं को वन्यजीव, पक्षी, तितलियां और पर्यावरण से जुड़ी जानकारियां दी जाएंगी। साथ ही उन्हें संचार कौशल और आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने के गुर भी सिखाए जाएंगे।पर्यावरण संरक्षण और पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
प्रशिक्षित नेचर गाइड्स पर्यटकों के साथ व्यक्तिगत बातचीत, ज्ञानवर्धक जानकारी और कहानियों के माध्यम से न केवल उन्हें वन्यजीवों और प्राकृतिक स्थलों से परिचित कराएंगे, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता भी फैलाएंगे। जयवीर सिंह ने बताया कि यह पहल उत्तर प्रदेश के प्राकृतिक स्थलों पर सतत और जिम्मेदार पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की जा रही है। नेचर गाइड्स का प्रशिक्षण न केवल उनके कौशल को बढ़ाता है, बल्कि उन्हें आगंतुकों के साथ एक स्थायी संबंध बनाने और प्रकृति के संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करता है। यह भी पढ़ें
अयोध्या में आठवें दीपोत्सव की भव्य तैयारी, 25 लाख दीयों के रिकॉर्ड के लिए जुटेंगे 150 आदिवासी और 10 हजार स्वयंसेवक
प्रशिक्षण के महत्व और इसका असर
द नेचुरलिस्ट स्कूल के सहयोग से यह प्रशिक्षण दुधवा नेशनल पार्क में शुरू किया गया है, जो युवा गाइड्स को उनके काम में विशेषज्ञता प्रदान करेगा। प्रशिक्षण के दौरान गाइड्स को इस क्षेत्र के विशेष वन्यजीवों, तितलियों, पक्षियों और पेड़-पौधों के बारे में विस्तार से जानकारी दी जा रही है। इसके साथ ही उन्हें यह भी सिखाया जा रहा है कि कैसे वे पर्यटकों को अपनी कहानियों और जानकारी के माध्यम से एक अनूठा और समृद्ध अनुभव दे सकें। यह भी पढ़ें
UP में ठंड का काउंटडाउन शुरू: गर्मी को कहें अलविदा, जल्द ही कड़ाके की ठंड करेगी दस्तक
पर्यटकों के लिए इस नई सुविधा का विस्तार दुधवा के बाद कतर्नियाघाट और पीलीभीत टाइगर रिजर्व जैसे प्रमुख ईको टूरिज्म स्थलों पर भी किया जाएगा, जिससे उत्तर प्रदेश का ईको टूरिज्म और अधिक सशक्त होगा और पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी बढ़ेगी।नेचर गाइड्स का महत्व
नेचर गाइड्स का पर्यावरणीय और सांस्कृतिक पर्यटन में महत्वपूर्ण योगदान होता है। ये प्रशिक्षित गाइड्स पर्यटकों को न केवल प्राकृतिक स्थलों का दौरा करवाते हैं, बल्कि उन्हें उन स्थलों से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी और रोचक कहानियां भी सुनाते हैं। इनका महत्व कई स्तरों पर देखा जा सकता है:पर्यटकों के अनुभव को समृद्ध बनाना
नेचर गाइड्स पर्यटकों को स्थलों के इतिहास, वन्यजीवों, और स्थानीय परंपराओं से अवगत कराते हैं। उनके द्वारा दी गई जानकारी पर्यटकों को उस स्थल की गहराई से समझ बनाने में मदद करती है, जिससे उनका यात्रा अनुभव और भी रोचक और ज्ञानवर्धक हो जाता है।पर्यावरण संरक्षण में भूमिका
गाइड्स पर्यटकों को प्राकृतिक स्थलों की संवेदनशीलता और वहां के संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूक करते हैं। वे पर्यटकों को पर्यावरण के साथ जिम्मेदार और सतत व्यवहार करने के लिए प्रेरित करते हैं, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण सुनिश्चित हो सके।स्थानीय समुदाय को रोजगार
नेचर गाइड्स के रूप में स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलता है, जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार होता है। इससे पर्यटन क्षेत्र में स्थानीय सहभागिता बढ़ती है और क्षेत्रीय विकास को बल मिलता है। यह भी पढ़ें