लखनऊ

Dudhwa Tiger Reserve: सुलोचना और डायना करेंगे बाघ के रेस्क्यू में मदद, दुधवा टाइगर रिजर्व से मंगाए गए दो हाथी

Dudhwa Tiger Reserve: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के दुधवा टाइगर रिजर्व में वन विभाग ने एक बाघ के सुरक्षित रेस्क्यू के लिए दो हाथियों, सुलोचना और डायना, की मदद ली है। पिछले एक महीने से बाघ को पकड़ने की कोशिशें जारी हैं, लेकिन अब तक सफलता नहीं मिल पाई है।

लखनऊJan 03, 2025 / 12:19 pm

Ritesh Singh

लखनऊ के काकोरी के बहरू गांव में बाघ ने गोवंश का शिकार किया, ग्रामीणों में दहशत

Dudhwa Tiger Reserve: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के दुधवा टाइगर रिजर्व में विभाग की टीम पिछले एक महीने से एक बाघ का सुरक्षित रेस्क्यू करने की कोशिश कर रही है, लेकिन बाघ अभी तक विभाग की पकड़ से बाहर है। अब इस चुनौतीपूर्ण कार्य के लिए वन विभाग ने दुधवा टाइगर रिजर्व से दो हाथियों, सुलोचना और डायना, को मंगाया है। यह हाथी बाघ के रेस्क्यू कार्य में विभाग की टीमों की मदद करेंगे। वन विभाग की टीमों द्वारा बाघ को सुरक्षित पकड़ने के लिए विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं, जिसमें मचान, थर्मल ड्रोन कैमरा और स्थानीय गांवों में जन जागरूकता अभियान शामिल हैं।
दो हाथियों की मदद: पिछले एक महीने से रहमान खेड़ा क्षेत्र में बाघ का रेस्क्यू जारी है, लेकिन अब तक सफलता नहीं मिली है। बाघ के रेस्क्यू के लिए वन विभाग ने दुधवा टाइगर रिजर्व से दो हाथियों – सुलोचना और डायना – की मदद ली है। ये हाथी रेस्क्यू ऑपरेशन में विभाग की टीम की मदद करेंगे। हाथियों का उपयोग बाघों को पकड़ने के लिए पहले भी किया जा चुका है, जब 2012 में बाघ को रेस्क्यू करने के लिए हाथियों का सहारा लिया गया था। उस समय बाघ को लगभग 109 दिन में पकड़ा गया था।
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बाघ के पग चिन्ह और निगरानी: डीएफओ सितांशु पाण्डेय ने बताया कि गुरुवार को कुशमौरा गांव के पास रेलवे क्रॉसिंग से पहले आम के बाग में बाघ के पग चिन्ह देखे गए। इन पग चिन्हों का निरीक्षण करने पर यह पुष्टि हुई कि ये वन्य जीव के थे। साथ ही रहमान खेड़ा संस्थान के इन्ट्री प्वाइंट पर भी बाघ के पग चिन्ह मिले थे, लेकिन सीसीटीवी कैमरे में बाघ की कोई तस्वीर नहीं कैद हो पाई।
Dudhwa Tiger Reserve
रेस्क्यू टीम की लगातार निगरानी: डीएफओ के अनुसार, डॉक्टरों की टीम मचान के पास पड़वा बांधकर बाघ को सुरक्षित पकड़ने के लिए लगातार निगरानी कर रही है। इसके साथ ही कॉम्बिंग टीम द्वारा आसपास के गांवों में वन्य जीव से बचाव के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। थर्मल ड्रोन कैमरा के माध्यम से भी बाघ की गतिविधियों की निगरानी की जा रही है। लखनऊ के काकोरी तहसील के बहरू गांव में बृहस्पतिवार रात बाघ ने गोवंश का शिकार किया। बाघ ने आबादी के बीच खेतों में दौड़कर शिकार किया, जिससे गांव में दहशत फैल गई। वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और बाघ के पगमार्क की जांच की।
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2012 में भी हाथियों का उपयोग: 2012 में भी एक बाघ को रेस्क्यू करने के लिए हाथियों का उपयोग किया गया था। उस समय बाघ ने तीन महीने तक वन विभाग की टीमों को परेशान किया था, लेकिन अंततः लगभग 109 दिन में बाघ को पकड़ा गया था।
बाघ के रेस्क्यू में टीम का समर्पण: वन विभाग की टीमें, डॉक्टर और कॉम्बिंग टीमों के साथ मिलकर बाघ को सुरक्षित रेस्क्यू करने के लिए दिन-रात प्रयास कर रही हैं। बाघों के रेस्क्यू और सुरक्षित स्थान पर भेजने के लिए विभाग ने पूरी तरह से अपनी तैयारियां की हैं।
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उत्तर प्रदेश के दुधवा टाइगर रिजर्व में वन विभाग की टीम बाघ के रेस्क्यू के लिए लगातार प्रयासरत है। इस अभियान में सुलोचना और डायना जैसे दो हाथियों को शामिल किया गया है, जो बाघ को सुरक्षित पकड़ने में विभाग की मदद करेंगे। बाघ के पग चिन्हों के आधार पर बाघ की गतिविधियों की निगरानी की जा रही है, और आसपास के गांवों में भी जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। वन विभाग की पूरी टीम, डॉक्टर और अन्य विशेषज्ञों के साथ मिलकर बाघ का सुरक्षित रेस्क्यू करने की कोशिश कर रही है।

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