केजीएमयू में कोरोना की दूसरी लहर के बीच अब तक छह कर्मचारी, एक फैकल्टी डॉक्टर व एक रेजिडेंट की जान जा चुकी है। अस्पताल के 600 डॉक्टर्स के संक्रमित हुए हैं। पिछले वर्ष भी केजीएमयू के 300 के करीब डॉक्टर-कर्मी संक्रमित हुए थे। वहीं इस बार भी कैम्पस में संक्रमण फैल गया है। इसे देखते हुए केजीएमयू प्रशासन किसी तरह दूसरे विभाग से डॉक्टर व स्टाफ बुलाकर उनकी सेवाएं ले रहा है। इसी तरह लोहिया संस्थान में भी डॉक्टर और स्टाफ का बड़ा संकट आ पड़ा है। कोविड ड्यूटी करने वाले वालों सहित दूसरे डॉक्टर व स्टाफ को मिलाकर 40 प्रतिशत से अधिक लोग पॉजिटिव हो चुके हैं। इसमें करीब 50 से अधिक फैकल्टी व रेजिडेंट भी शामिल हैं।
निजी अस्पतालों का भी बुरा हाल सरकारी अस्पतालों में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है। इस कारण लोग निजी अस्पतालों में मरीज को एडमिट करने पर निर्भर हैं। लेकिन यहां भी स्टाफ की समस्या खड़ी हो गई है। डॉक्टर्स कोविड की चपेट में आ रहे हैं, जिस कारण इलाज प्रभावित हो रहा है। राजधानी के इंटीग्रल हॉस्पिटल में ही करीब 50 स्टाफ संक्रमित हो चुका है। इसमें एक डॉक्टर की दो दिन पहले मौत भी हो चुकी है। यहां के डीन, कुलपति समेत 50 से अधिक लोग पॉजिटिव हैं। इसी तरह निजी मेडिकल कॉलेज कैरियर हॉस्पिटल में बड़ी संख्या में डॉक्टर संक्रमित पाए गए हैं।
विज्ञापन के बाद भी नहीं मिल डॉक्टर कोविड वार्ड में स्टाफ के संकट को देखते हुए ड्यूटी के लिए रेजिडेट की भर्ती निकाली गई। कोविड वार्ड में लेकिन आलम यह है कि विज्ञापन निकालने के बाद भी चिकित्सक नहीं मिल रहे हैं। डॉक्टर और स्टाफ की कमी बनी हुई है। जहां डॉक्टर्स मिल भी गए वहां स्टाफ का अकाल पड़ा है।
दूसरे जिले से आए हैं डॉक्टर बलरामपुर अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. हिमांशु ने कहा कि कोविड ड्यूटी के लिए दूसरे जिलों से डॉक्टर बुलाए गए हैं। अस्पताल में बहुत से डॉक्टर व स्टाफ संक्रमित हैं। लेकिन फिर भी चिकित्सकों का संकट बना हुआ है। अनुभवी डॉक्टर्स के मुकाबले सीखने वाले मेडिकल छात्रों के भरोसे इस वक्त कोविड उपचार सिस्टम है।