झूलेलाल पार्क पंडाल के आयोजकों में से एक अरविंद कुशवाहा के अनुसार, ‘मनौतियों के राजा’ पंडाल में हर दिन दो से तीन बोरी पत्र मिलते हैं। यहां भक्तों को कागज और कलम उपलब्ध कराया जाता है, ताकि वे पंडाल में ही अपने पत्र लिख सकें। इसके बाद पुजारी गणपति की मूर्ति के सामने भक्तों के पत्र पढ़ते हैं। उम्मीद की जाती है कि भक्तों की प्रर्थना भगवान सुनेंगे और मनोकामना पूरी करेंगे।
पत्र में जीवन साथी और व्यापार की बातें बप्पा को लिखे पत्र में लोग अपनी परेशानियों का हल मांगते हैं। कोई मुकदमे सुलझाने के लिए, कोई नौकरी के लिए तो कोई अच्छा जीवन साथी मिलने की प्रार्थना पत्र में करता है। इसके अलावा ऐसे लोगों के पत्र भी होते हैं, जिसमें लोग कश्मीर में रहने वाले अपने दोस्तों के लिए चिंता व्यक्त करते हैं। वहीं, कुछ पदोन्नति के लिए पार्थना करते हैं, तो कुछ आयकर की समस्याओं से राहत पाने के लिए भी पत्र लिखते हैं। आयोजक टीम के सदस्य ने बताया कि पत्र में ऐसे मामले लिखे जाते हैं, जो तार्किक रूप से अदालत में जाने चाहिए लेकिन यहां केवल भगवान गणेश हैं, जो मायने रखते हैं।
हर गुजरते साल के साथ शहर में गणपति उत्सव की धूम बढ़ती है। मूर्तिकार अतुल प्रजापति के अनुसार, लखनऊ में पहले से ज्यादा तादाद में गणपति की मूर्तियां बिकती हैं। इस साल उन्होंने छोटी मूर्तियों को बेचा है, जिन्हें लोग अपने घरों में ले जाते हैं। घर में स्थापना के लिए लोग बाल गणेश की प्रतिमा पसंद करते हैं, जबकि पंडाल बड़ी मूर्तियों को पसंद करते हैं।
विसर्जन में परेशानी गोमती नदी में गणपति की मूर्तियों के विसर्जन के दौरान प्रशासन एक बड़ी समस्या का सामना कर रहा है। जिले के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, केवल झूलेलाल घाट के विसर्जन के लिए तय किया गया था। लेकिन कई और पंडालों से मूर्ती विसर्जन के बाद ज्यादा तादाद में भीड़ से परेशानी हो रही। ऐसे में भीड़ को संभालने की हरसंभव कोशिश की जा रही।