राजधानी में 10 डिस्ट्रिब्यूटर राजधानी लखनऊ में पारले-जी के डिस्ट्रिब्यूटर हैं। लॉकडाउन के दौरान मार्च से लेकर मई तक इस बिस्किट की मांग तीन गुनी तक बढ़ गई। अप्रैल में तो यह हालात हो गए कि अधिकतर डिस्ट्रीब्यूटर के पास माल पहुंचने से पहले रिटेलर उनके ऑफिस पर डेरा जमा देते थे। मॉडल हाउस के पारले-जी बिस्कुट डिस्ट्रिब्यूटर राघवेंद्र ने बताया कि मई में उनके पास 10,000 पारले-जी बिस्कुट की पेटियां बिक गई थीं। सबसे ज्यादा बिस्कुट श्रमिकों में बांटे गए हैं। पैदल चल रहे प्रवासी मजदूरों के लिए तो पारले-जी बिस्कुट अपनी भूख मिटाने का सबसे बड़ा स्रोत बना। किसी ने खुद खरीद कर खाया, तो बहुतों ने दान में पाया।
मैगी की भी बढ़ी सेल भूख मिटाने के लिए लॉकडाउन में मैगी लोगों के लिए एक बढ़िया जरिया बना है। ईवनिंग स्नैक हो या नाइट डिनर, लॉकडाउन में मैगी की भी खूब डिमांड बढ़ी है। खाने पीने की चीजों की सेल में सबसे ज्यादा सेल मैगी की हुई है। नेस्ले ने बताया कि लॉकडाउन के बीच इन्सटेंट नूडल्स मैगी के लिए जमकर मारामारी रही। कोरोना वायरस के प्रकोप से पहले के दौर की तुलना में इस बीमारी के आने और इसके बाद लॉकडाउन के दौर में मैगी की बिक्री में 25 फीसदी की भारी बढ़त हुई है। लखनऊ में शॉपकीपर दया बताते हैं कि लॉकडाउन में होटल-रेस्टोरेंट और ऑनलाइन डिलीवरी बंद होने से अधिकतर मैगी की डिमांड हुई है। बंद होने की वजह से बहुत से लोगों के लिए मैगी तत्काल बनानें वाली चीजों में एकमात्र विकल्प थी।