दरअसल, प्लाज्मा खून का ही एक हिस्सा है। यह बॉडी में करीब 52 से 62 फीसदी तक होता है। यह पीले रंग का होता है। इसे खून से अलग करके निकाला जाता है।
किन लोगों से लेते हैं
कोविड-19 से ठीक हो चुके मरीजों जिनमें एंटीबॉडी विकसित हो चुकी होती है। उन मरीजों की बॉडी से खून निकाल कर उसमें से प्लाज्मा अलग किया जाता है। इसे ही कोविड मरीजों को चढ़ाया जाता है। प्लाज्मा में एंटीबॉडी बन गई होती है इसलिए इससे मरीज जल्दी रिकवर होता है।
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किन लोगों से लेते हैं
कोविड-19 से ठीक हो चुके मरीजों जिनमें एंटीबॉडी विकसित हो चुकी होती है। उन मरीजों की बॉडी से खून निकाल कर उसमें से प्लाज्मा अलग किया जाता है। इसे ही कोविड मरीजों को चढ़ाया जाता है। प्लाज्मा में एंटीबॉडी बन गई होती है इसलिए इससे मरीज जल्दी रिकवर होता है।
कब दिया जा सकता है प्लाज्मा दान
डॉक्टरों के मुताबिक एक व्यक्ति के प्लाज्मा से 2 मरीज ठीक हो सकते हैं। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को ब्लड देने के बाद उसमें से प्लाज्मा किसी दूसरे मरीज को चढ़ाने की प्रक्रिया ही कॉन्वलेसेंट प्लाज्मा थेरेपी कहलाती है। प्लाज्मा कोविड से ठीक होने के 14 दिन बाद कोई भी ब्लड डोनेट कर सकता है। लेकिन वह सभी तरह के लक्षणों से मुक्त हो।
डॉक्टरों के मुताबिक एक व्यक्ति के प्लाज्मा से 2 मरीज ठीक हो सकते हैं। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को ब्लड देने के बाद उसमें से प्लाज्मा किसी दूसरे मरीज को चढ़ाने की प्रक्रिया ही कॉन्वलेसेंट प्लाज्मा थेरेपी कहलाती है। प्लाज्मा कोविड से ठीक होने के 14 दिन बाद कोई भी ब्लड डोनेट कर सकता है। लेकिन वह सभी तरह के लक्षणों से मुक्त हो।
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कैसे करता है प्लाज्मा काम
प्लाज्मा थेरेपी से कोविड का संक्रमण खत्म नहीं होता है। लेकिन जिसे प्लाज्मा दिया जाता है उसका इम्यून सिस्टम बूस्ट हो जाता है। इससे बॉडी वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाने लगती है। और मरीज इस बीमारी से लड़ पाता है।
क्या हैं इससे जुड़े जोखिम
प्लाज़्मा थेरेपी हर मरीज़ के लिए उपयोग में नहीं लाई जा सकती, यह मामले और बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करता है। एक अन्य रोगजनक या प्रतिरक्षा ऊतक क्षति के साथ रक्त संक्रमण का खतरा हो सकता है। क्योंकि, जब किसी को प्लाज्मा चढ़ाया जाता है तो उसमें केवल एंटीबॉडीज नहीं होतीं, और भी कई रसायन होते हैं। ऐसे में प्रतिकूल असर भी हो सकते हैं। लैब में बनाए गए एंटीबॉडी शुद्ध होते हैं, वे प्लाज्मा की तरह कई रसायनों का मिश्रण नहीं होते। इसी वजह से वे ज्यादा बेहतर होते हैं।
प्लाज़्मा थेरेपी हर मरीज़ के लिए उपयोग में नहीं लाई जा सकती, यह मामले और बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करता है। एक अन्य रोगजनक या प्रतिरक्षा ऊतक क्षति के साथ रक्त संक्रमण का खतरा हो सकता है। क्योंकि, जब किसी को प्लाज्मा चढ़ाया जाता है तो उसमें केवल एंटीबॉडीज नहीं होतीं, और भी कई रसायन होते हैं। ऐसे में प्रतिकूल असर भी हो सकते हैं। लैब में बनाए गए एंटीबॉडी शुद्ध होते हैं, वे प्लाज्मा की तरह कई रसायनों का मिश्रण नहीं होते। इसी वजह से वे ज्यादा बेहतर होते हैं।
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प्लाज्मा थेरेपी का खतरा
-प्लाज्मा थेरेपी के बाद रिएक्शन का खतरा ज्यादा
-एलर्जिक रिएक्शन और फेफड़ों को नुकसान
-सांस लेने में हो सकती है तकलीफ
-हेपेटाइटिस बी और सी के रिएक्शन का भरी खतरा कौन नहीं कर सकता प्लाज्मा दान
-प्लाज्मा सभी लोग दान नहीं कर सकते
-गर्भवती महिलाएं, डायबिटीज के मरीज नहीं दे सकते
-हार्ट मरीज, लिवर, किडनी मरीज भी नहीं कर सकते दान
-कैंसर मरीज का भी नहीं लिया जा सकता प्लाज्मा