डॉ. चट्टोपाध्याय के अनुसार कोविड-19 यानी सार्स वायरस के साथ एक अन्य बाधा इसके म्यूटेशन को लेकर भी है। इस वायरस की संरचना में बदलाव (स्ट्रक्चरल म्यूटेशन) नहीं, इसमें केवल फंक्शनल म्यूटेशन हो रहा है। वायरस में स्ट्रक्चरल म्यूटेशन न होने से उसके निष्क्रिय होने की संभावना बहुत कम होती है। जबकि फंक्शनल म्यूटेशन से वायरस के व्यवहार व प्रकृति से जुड़ी गतिविधियों में ही परिवर्तन देखा जाता है। इसी वजह से लगातार मल्टीप्लिकेशन होने के फलस्वरूप यह वायरस निष्क्रिय नहीं हो पा रहा है। डॉ. चट्टोपाध्याय का कहना है कि इस वायरस को समझकर उसके कारगर उपचार ढूंढने के लिए आंकड़ों पर आधारित जो गहन शोध अध्ययन होने चाहिए, वह नहीं हो पाए हैं। इसके मल्टीप्लिकेशन को रोकने के लिए ठोस, कारगर उपाय प्रभावी ढंग से लागू करने होंगे।