ये भी पढ़ें- यूपी: कोरोना के फिर बढ़े मामले, चार बच्चों की कार में मौत, विधायक व पूर्व मंत्री का निधन अस्पतालों में वसूले खूब पैसे, नहीं बचा सके मरीज-
अस्पतालों में बेड मिलने की समस्या तो जारी ही थी। निजी अस्पतालों में तो यह आलम था कि दाखिले के बाद तीमारदारों को खूब लूटा गया, बावजूद उसके कई मरीजों को बचाया नहीं जा सका। बड़े नामी अस्पतालों में प्रतिदिन बेड के चार्ज में बेतहाशा बढ़ोत्तरी कर रखी थी। लखनऊ के सन अस्पताल का ही उदाहरण ले लीजिए। बीते दिनों यह मरीजों को इलाज के लिए भर्ती कराने के बाद उनसे 5 से 10 लाख रुपए तक वसूलने का आरोप लगा है और बाद में उन्हें ऑक्सीजन की कमी की हवाला देकर कहकर अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया जाता था। अस्पताल पर एफआईआर भी दर्ज की गई है।
अस्पतालों में बेड मिलने की समस्या तो जारी ही थी। निजी अस्पतालों में तो यह आलम था कि दाखिले के बाद तीमारदारों को खूब लूटा गया, बावजूद उसके कई मरीजों को बचाया नहीं जा सका। बड़े नामी अस्पतालों में प्रतिदिन बेड के चार्ज में बेतहाशा बढ़ोत्तरी कर रखी थी। लखनऊ के सन अस्पताल का ही उदाहरण ले लीजिए। बीते दिनों यह मरीजों को इलाज के लिए भर्ती कराने के बाद उनसे 5 से 10 लाख रुपए तक वसूलने का आरोप लगा है और बाद में उन्हें ऑक्सीजन की कमी की हवाला देकर कहकर अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया जाता था। अस्पताल पर एफआईआर भी दर्ज की गई है।
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निजी एंबुलेंस चालक भी इसमें पीछे नहीं रहे। कुछ ही किलोमीटर की दूरी के लिए अनर्गल मांग की गई। उदाहरण के तौर पर नोएडा में मरीज को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए 12 किलोमीटर के लिए 42 हजार रुपये वसूल लिये। मतलब प्रति किलोमीटर 3500 रुपये। गाजीपुर में भी कुछ ऐसा ही हुआ। यहां एक अस्पताल के लिए ले जाते वक्त एक पिता की मौत हो गई। बेटे ने एम्बुलेंस चालक से डेड बॉडी गाजीपुर ले चलने की बात की तो उसने 12 हजार रुपये मांगे।
निजी एंबुलेंस चालक भी इसमें पीछे नहीं रहे। कुछ ही किलोमीटर की दूरी के लिए अनर्गल मांग की गई। उदाहरण के तौर पर नोएडा में मरीज को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए 12 किलोमीटर के लिए 42 हजार रुपये वसूल लिये। मतलब प्रति किलोमीटर 3500 रुपये। गाजीपुर में भी कुछ ऐसा ही हुआ। यहां एक अस्पताल के लिए ले जाते वक्त एक पिता की मौत हो गई। बेटे ने एम्बुलेंस चालक से डेड बॉडी गाजीपुर ले चलने की बात की तो उसने 12 हजार रुपये मांगे।
अंतिम संस्कार में भी धन उगाही-
धन उगाही के लिए लोगों ने अंतिम संस्कार के मौके तक को नहीं छोड़ा। शुल्क निर्धारित होने के चलते अंतिम संस्कार कराने आए लोगों से अंधाधुंध पैसा लूटा गया। उदाहरण के तौर पर वाराणसी में हरिश्चंद्र घाट पर अपने चाचा के अंतिम संस्कार के लिए आए 35 वर्षीय व्यक्ति से मौजूद प्रबंधक ने अंतिम संस्कार के लिए 11,000 रुपये मांगे। एक अन्य मामले में इसी घाट पर 35 वर्षीय पीड़ित ने अपनी चाची के अंतिम संस्कार के लिए 21,000 रुपये दिए तो बाद में दादी के दाह संस्कार के लिए 25000 रुपये देने पड़ गए।
धन उगाही के लिए लोगों ने अंतिम संस्कार के मौके तक को नहीं छोड़ा। शुल्क निर्धारित होने के चलते अंतिम संस्कार कराने आए लोगों से अंधाधुंध पैसा लूटा गया। उदाहरण के तौर पर वाराणसी में हरिश्चंद्र घाट पर अपने चाचा के अंतिम संस्कार के लिए आए 35 वर्षीय व्यक्ति से मौजूद प्रबंधक ने अंतिम संस्कार के लिए 11,000 रुपये मांगे। एक अन्य मामले में इसी घाट पर 35 वर्षीय पीड़ित ने अपनी चाची के अंतिम संस्कार के लिए 21,000 रुपये दिए तो बाद में दादी के दाह संस्कार के लिए 25000 रुपये देने पड़ गए।
रेमडेसिविर के लिए वसूले रुपए- मरीजों को बचाने के रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग खूब बढ़ी। कई लोगों ने इसकी बढ़ती मांग को देख घरों में इसका स्टॉक इकट्ठा कर लिया। बाद में दलाल भी भूमिका में आए। एक-एक रेमडेसिविर के लिए 20-50 हजार रुपए तक वसूले गए। लखनऊ में एक मामले में तो फार्मासिस्ट, डीलर और निजी अस्पताल की मिलीभगत से कालाबाजारी उजागर हुई। इसमें निजी अस्पताल पर्चे पर रेमडेसिविर इंजेक्शन लिखते हैं और अपने यहां खत्म होने की बात कहकर दूसरे अस्पताल का पता बताते हैं। इसी तरह दूसरा अस्पताल किसी फार्मासिस्ट या नर्सिंग होम का पता बताकर इंजेक्शन मंगवा रहा है। इस गठजोड़ में लोग लुट रहे हैं।