मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया है कि घरों में टेस्टिंग के लिए जाने वाली टीमें पल्स ऑक्सीमीटर, इन्फ्रारेड थर्मोमीटर, सैनेटाइजर, ग्लव्स, मास्क और पीपीई किट सहित अन्य चिकित्सकीय संसाधनों से पूरी तरह लैस रहनी चाहिए, ताकि जांच के काम में कहीं कोई बाधा न आने पाए। बता दें कि इससे पहले मुख्यमंत्री के निर्देश पर आगरा, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, लखनऊ और गोरखपुर जिलों में घर-घर जाकर टेस्टिंग का अभियान शुरू किया जा चुका है। इसके बेहतर नतीजे दिखने पर अब इसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में लागू किया जा रहा है। इस अभियान चरणबद्ध तरीके से को पूरे राज्य में लागू करने के लिए वृहद योजना तैयार कर ली गई है।
कोरोना को लेकर मुंख्यमंत्री द्वारा शुरू से ही पूरी सतर्कता बरतने की नीति के चलते पूरे राज्य में 1 लाख से अधिक मेडिकल टीमें इस काम को अंजाम दे रही हैं। इस अभियान का लक्ष्य शत-प्रतिशत सैंपलिंग करके कोरोना के संक्रमण को तेजी से समाप्त करना है। ये टीमें घर के सभी सदस्यों की मेडिकल हिस्ट्री की जांच करेंगी। इसमें देखा जाएगा कि कोई व्यक्ति पहले से किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित तो नहीं है। कोविड-19 के लक्षण मिलने पर संबंधित व्यक्ति का टेस्ट किया जाएगा। टेस्ट पाॅजिटिव आने पर उन्हें कोविड अस्पताल में उपचार हेतु भर्ती कराया जाएगा।
राज्य के कोविड अस्पतालों में बेडों की संख्या को 1.51 लाख के पार पहुंचने से उत्तर प्रदेश देश में सबसे ज्यादा कोविड बेड वाला राज्य बन गया है। राज्य में प्रतिदिन टेस्टिंग की क्षमता भी 26 हजार 489 गई है। मुख्यमंत्री ने इसे और बढ़ाकर दस दिन के भीतर 30 हजार के पार पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए सरकार शुरू से ही प्रभावी कदम उठा रही है। राज्य में कोरोना के मद्देनजर 7 करोड़ से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। इसी कड़ी में अब मेडिकल टीमों को घर-घर जाकर जांच करने का निर्देश दिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आमजन को कोविड-19 से संबंधित जानकारी सुलभता और सरलता से मिले, इसके लिए प्रदेश के सभी सीएचसी, पीएचसी, जिला अस्पताल, ब्लॉक, तहसील, मंडी, जिलाधिकारी कार्यालय, पुलिस कार्यालय, थाने, कोतवाली सहित अन्य सभी सरकारी कार्यालयों में कोविड हेल्प डेस्क स्थापित की गई हैं।