दूसरी तरफ मुख्यमंत्री जी आम चुनाव 2019 की तैयारियों में लगे हैं यूपी की जनता ने उन्हें अपनी सुरक्षा और सुदृढ़ करने के लिए चुना था लेकिन सरकार आने के बाद वह अपने बलात्कारी नेताओं को बचाने और उन पर लगे बलात्कार के मुकदमें वापस लेने का काम कर रही है आज की स्थिति में उन पर यही नारा सटीक बैठता है- ‘‘कि पहले बीजेपी के नेताओं से बेटी बचाओ-फिर बेटी पढ़ाओ’’, क्या यह यूपी की जनता की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा रहा ? मुख्यमंत्री जी सिर्फ अपनी सुरक्षा के प्रति तो संवेदनशील हैं लेकिन अपराधियों एवं बलात्कारियों के खिलाफ कोई ठोस कार्यवाही करने के बजाय उनके संरक्षण में लगे हुए है।
कांग्रेस प्रवक्ता का कहना है कि इससे ज्यादा शर्मनाक स्थिति क्या हो सकती है कि प्रदेश की महिलाओं को मुख्यमंत्री से न्याय मांगने के बाद भी न्याय नहीं मिलता जिसकी कीमत उन्हें अपनी जान देकर चुकानी पड़ती है। मेरठ की एक बच्ची को जला दिया जाता है, बागपत की घटना हो या बरेली में 17 साल की बच्ची के साथ बलात्कार की घटना हो। लखनऊ में डीजीपी कार्यालय के पास से बच्ची को उठाकर रेप कर दिया जाता है और सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रहती है। उन्नाव की घटना में आज तक उस आरोपी बीजेपी विधायक के खिलाफ बीजेपी की तरफ से कोई कार्यवाही नहीं की जाती है जबकि सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल कर दी है इससे बीजेपी की महिला विरोधी मानसिकता उजागर होती है बीजेपी के विधायक शर्मनाक बयान देते हैं कि भगवान राम भी आ जायें तो बलात्कार की घटनाएं नहीं रूकेंगी। सरकार के उपमुख्यमंत्री माता सीता को टेस्ट ट्यूब बेबी बताते हैं और भारतीय जनता पार्टी उस पर मौन रहती है।
विगत वर्ष एनसीआरबी के आंकड़ों से भी स्पष्ट है कि उ0प्र0 में महिलाओं के प्रति बलात्कार और छेड़खानी की घटनाओं में 40 प्रतिशत से ज्यादा का इजाफा हुआ है उ0प्र0 में बीजेपी सरकार आने के बाद सरकार और पुलिस अपराधों में सिर्फ आंकड़ेबाजी कर रही है। देश में महिलाओं के साथ होने वाली घटनाओं में यूपी तीसरे स्थान पर है।